कुमाऊँ
अदभुत: जागेश्वर धाम में खुदाई के दौरान 14वीं शताब्दी के शिवलिंग मिले, खुदाई के काम पर तत्काल रोक
जागेश्वर धाम में खुदाई के दौरान अचानक जमीन के भीतर दो शिवलिंग मिले। शिवलिंग मिलने की सूचना पर भक्त भगवान शिव के दर्शन के लिए उमड़ पड़े। यह मामला पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना है। वहीं एएसआई इन शिवलिंग को सुरक्षित रखेगी। शिवलिंगों को 14वीं सदी का बताया जा रहा है।
विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर धाम में मास्टर प्लान के तहत इलुमिनेशन का काम चल रहा है, इसके लिए खुदाई की जा रही है। बुधवार सुबह श्रमिक खुदाई के काम में जुटे थे तभी धाम में जमीन के भीतर अद्भुत शिवलिंग मिला। श्रमिकों को जागेश्वर मंदिर के ठीक पीछे प्राचीन शिवलिंग नजर आया। कुछ ही देर में यह जानकारी पूरे क्षेत्र में फैल गई तो सैकड़ों भक्त शिवलिंग के दर्शन को धाम पहुंच गए। भक्तों ने रोली, चंदन और पुष्प अर्पित कर भगवान शिव का विधिवत पूजन किया और भोले के जयकारे लगाए। वहीं शिवलिंग मिलने पर कार्यदाई संस्थान ने इस स्थान पर खुदाई रोक दी है। एएसआई के मुताबिक शिवलिंग 14वीं शताब्दी के हैं, इन्हें सुरक्षित रखा जाएगा।
जागेश्वर धाम से शुरू हुआ भगवान शिव का लिंग के रूप में पूजन
मान्यताओं के अनुसार जागेश्वर धाम से ही पृथ्वी पर लिंग के रूप में भगवान शिव के पूजन की शुरुआत हुई थी। जागेश्वर मंदिर समूह में भगवान शिव के करीब 108 मंदिर हैं। जागेश्वर से डेढ़ किमी दूर कोटेश्वर में कोटलिंग नामक स्थान पर पूर्व में भी खुदाई के दौरान कई शिवलिंग मिल चुके हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम भी कोटलिंग का सर्वे कर चुकी है।
10 साल पहले मिल चुकी है भवान विष्णु की मूर्ति
अल्मोड़ा में स्थानीय लोगों के अनुसार धाम में खुदाई के दौरान 10 साल पूर्व भगवान विष्णु की मूर्ति भी मिल चुकी है। एएसआई ने इसे सुरक्षित तरीके से सहेजा है। दो दिन पूर्व खुदाई के दौरान धाम में एक ओखलीनुमा पत्थर भी मिला जो ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
जागेश्वर धाम में इलुमिनेशन के कार्य के दौरान हुई खुदाई में दो शिवलिंग मिले हैं, इन्हें सुरक्षित रखा जाएगा। पहले भी खुदाई के दौरान कई मूर्तियां मिली हैं। शिवलिंग 14 वीं शताब्दी के हो सकते हैं। – मनोज कुमार सक्सेना, अधीक्षण पुरातत्वविद, केंद्रीय पुरातत्व विभाग, उत्तराखंड।