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चोरी की योजना बनाने पर 31 साल बाद 7 साल की सजा, 14 साल से जेल में बंद है दोषी

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सुनवाई को पूरा करने में अपर सत्र न्यायाधीश हेमंत कुमार की कोर्ट को 31 साल का समय लग गया। बुलंदशहर में चोरी की योजना बनाते हुए पकड़े गए आरोपी को दोषी ठहराने में 31 साल का लंबा समय लग गया। 31 साल बाद जब मामले में दोषी को सात साल की सजा सुनाई गई, लेकिन वह अब तक करीब 14 साल जेल में बिता चुका है। एडीजीसी फौजदारी डीके माहुर ने बताया कि एक अगस्त 1991 को जहांगीराबाद पुलिस को सूचना मिली थी कि अनूपलाल के बाग में बनी धर्मशाला में चोरों का एक गिरोह चोरी की योजना बना रहे हैं। सूचना पर पुलिस ने बाग में पहुंचकर मामले की जांच की तो एक कमरे में कुछ आरोपी बैठकर चोरी की योजना बना रहे थे।

जहांगीराबाद क्षेत्र में और एक कमरे से लूट की योजना बनाने की आवाज आ रही थी। जब पुलिस ने घेराबंदी की तो आरोपी के साथी मौके से भागने में सफल रहे, जबकि एक आरोपी को पुलिस ने अवैध हथियार के साथ गिरफ्तार कर लिया। आरोपी ने पूछताछ के दौरान अपना नाम नरेंद्र निवासी गांव शेखपुर रौरा थाना जहांगीराबाद बताया। पूछताछ के बाद पुलिस ने आरोपी को जेल भेज दिया था। बाद में वह जमानत पर बाहर आया था, लेकिन वर्ष 2008 में उसे फिर से जेल भेज दिया गया था। जिसके बाद से वह लगातार जेल में बंद है। मामले की सुनवाई को पूरा करने में अपर सत्र न्यायाधीश हेमंत कुमार की कोर्ट को 31 साल का समय लग गया। अब जब मामले में कोर्ट का फैसला आया, तो दोषी नरेंद्र जेल में 14 साल बिता चुका था, लेकिन कोर्ट ने उसे केवल सात साल की ही सजा सुनाई है।

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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