कस्तूरी स्पेशल
straight drive: टेंशन में दशरथ, माया राम की
दशरथ होने के मायने केवल दशरथ ही नहीं बल्कि इसके मायने राम का पिता होना भी है। राम के पिता होने से पहले भी दशरथ ने बहुत ‘धाम’ देखे। मगर पीढ़ा तो पीढ़ा है। ऐसा धाम जहां अगर नैया पार नहीं लगी तो फिर वह कैसा धाम। तो कोपभावन में अगर दशरथ किसी को मनाते हैं वनवास न भेजने को तो फिर यह वनवास ही उन्हें व्यथित करता है। वनवास किसका ?? यहां तो राम गए छोड़कर, वहां कौन छोड़ चला ?? अब भला ये भी कोई पूछने की बात हुई कि कौन छोड़ चला ?? दशरथ मना रहे हैं कौशल्या को कि वनवास अच्छी बात नहीं। वनवास वो भी 14 साल का !!! । दशरथ बोले, हमने अपने जीवन में जितने वन और उपवन देखे, जितना राज काज देखा उतना भला क्या किसी ने देखा?? मगर ये तो वक्त की दुहाई कि अपने ‘मन की बात’ नहीं बता रहे हैं, वरना दुहाई दुहाई। हम आपसे केवल ये पूछते हैं, कौशल्या बोली, क्या आप राम को वन भेजने को सज्ज हैं?? फिर हमें कौन तारेगा?? दशरथ बोले,। फिर और आवाज आई, अगर आप यही चाहते हैं तो, हम सब को भी वही वास अब सज्ज़ है, बस आपकी हां चाहिए। लीला अभी जारी है, बाकी आपके विवेक पर।
दशरथ कौन और कहां यह हमें नहीं मालूम।

