उत्तराखण्ड
स्कूलों में प्रवेश के लिए न प्रवेश न कंपीटशन शुल्क, यूनिफार्म, किताबों के लिए विशेष दुकान भी नहीं, यहां सीईओ के कड़े फरमान जारी
हरिद्वार: स्कूलों की ओर से अब किसी प्रकार की प्रवेश परीक्षा व कंपीटशन शुल्क नहीं लिया जाएगा। शुल्क का विवरण भी अभिभावकों की जानकारी के लिए डिस्पले बाेर्ड पर अंकित करना होगा।
नए सत्र के लिए मुख्य शिक्षा अधिकारी केके गुप्ता की ओर से ऐसे 20 निर्देश जारी किए गए हैं। जिनका पालन सरकारी, सहायता प्राप्त समस्त निजी स्कूलों का पालन करना होगा। उनका कहना है कि आदेशों का पालन नहीं करने वाले स्कूलों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
ये हैं प्रमुख आदेश- प्रवेश के लिए किसी प्रकार की प्रवेश परीक्षा व कंपीटशन शुल्क नहीं लिया जाएगा।- एनसीईआरटी की पुस्तकें लगाई जाएं। बोर्ड की ओर से स्वीकृत विषयों के अतिरिक्त पुस्तकें नहीं लगाई जाएं।- विद्यालय परिसर में कापी, पुस्तकें, यूनीफार्म की विक्री न की जाए। न ही किसी विक्रेता विशेष को अधिकृत किया जाए।- विद्यालय में मानक अनुसार योग्यताधारी शिक्षक उपलब्ध होने चाहिए।- शिक्षक एवं कर्मचारियों के लिए सेवा नियमावली बनी होनी चाहिए। उनके वेतन भत्तों का भुगतान बैंक के माध्यम से उनके खातों में ही किया जाए।- विद्यालय में बालक एवं बालिकाओं के लिए आवश्यकतानुसार अलग-अलग शौचालय और स्वच्छ पेयजल की उपयुक्त व्यवस्था होनी चाहिए।- विद्यालय में अग्निशमन के लिए उपकरण स्थापित हों, विभाग से प्रमाण पत्र भी लिया जाए, सेनीटेशन सर्टीफिकेट व भवन सुरक्षा प्रमाण पत्र भी होना चाहिए।- विद्यालय में कार्यरत समस्त शिक्षकों एवं कार्मिकों के प्रोफाइल फोटो सहित उपयुक्त स्थान पर डिस्प्ले किए जाएं।
– विद्यालय की ओर से संचालित किए जा रहे वाहनों की फिटनेश व तैनात कार्मिकों पुलिस सत्यापन भी कराया जाए। बालिकाओं के वाहन में महिला कार्मिक की तैनाती होनी चाहिए।- विद्यालय में बाहर से आने वालों वितरण रखा जाए।- विद्यालय के परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगे होने चाहिए।- स्कूल की ओर से लिए जाने शुल्क का विवरण अभिभावकों की जानकारी डिस्प्ले किया जाए।- घोषित शुल्क के अतिरिक्त अन्य किसी प्रकार का शुल्क न लिया जाए।- विद्यालय में पीटीए की नियमित बैठकें कर समस्याओं पर चर्चा की जाए। शिकायत पेटिका में प्राप्त होने वाली शिकायतों का निस्तारण भी किया जाए।
– जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, मुख्य शिक्षा अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी, महिला हेल्पलाइन, चाइल्ड हेल्प लाइन, नजदीकी पुलिस थाना आदि के फोन नंबर उपयुक्त स्थान पर डिस्प्ले करें, जहां पर सबकी नजर पड़े।- एक महिला शिक्षक को काउंसलर के रूप में नियुक्त किया जाए, जो छात्राओं की समस्याओं के समाधान कर सके।