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बंद पत्ते नहीं, हरदा का गेम अब गेम ओपन
रावत समेत तमाम कांग्रेसी दिल्ली तलब, क्या होगा….बस इंतजार
हल्द्वानी। चुनाव की आहट, उम्र का तकाजा, हाथ का पंजा और हरदाकी बेचैनी। अंदरूनी तौर पर चाहे जो भी हो मगर रावत ने साफ कर दिया का अब बात आमने-सामने ही। चालें बहुत हो चुकी हैं, अब वक्त पत्ते खुलने का है। इसी गरज से हरदा ने अपनी चाल चल दी है। हरदा के हरकत में आते ही आलाकमान हरकत में आया तो अब कांग्रेसी दिल्ली की दौड़ लगा रहे हैं। दरअसल हरदा का बुधवार को किया गया ट्वीट उत्तराखंड की राजनीति में हलचल लेकर आया तो आलाकमान ने अब प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, पूर्व सीम हरीश रावत, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और हाल ही में कांग्रेसी बने यशपाल आर्य को दिल्ली बुलाया है।
भाजपा के सिर कांग्रेस का ‘हाथÓ
- अपने रास्ते में खुद कांटे बिछाने जैसा कांग्रेस का रवैया
- युवा नेतृत्व के आगे अनुभव अपार, मगर कैसे संभले कुनबा
मनोज लोहनी
२०२२ की आहट के साथ ही राज्य में चुनावी सरगर्मियों की आहट साफ है। कारण चाहे जो भी रहे हों, भाजपा ने चुनाव से ठीक पहले दो मुख्यमंत्री बदलकर कहीं न कहीं २०२२ की रणनीति साफ कर दी है। हालांकि राज्य बनने के बाद से अब तक यहां बारी-बारी भाजपा-कांग्रेस ने बारी-बारी सरकार बनाई है। ऐसा महज इत्तेफाक हो या फिर कुछ और मगर भाजपा की पूरी कोशिश है कि इस इत्तेफाक से इस बार उसका कतई इत्तेफाक न हो। उसकी इस कोशिश में पार्टी की चाहे जो भी तैयारियां हो, मगर इस वक्त बखिरे कांग्रेसी कु नबे और दो दिन पहले राजधानी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी का जो सूरतेहाल था उससे यह साफ था कि भाजपा को सत्ता में लाने की कोशिश में कांग्रेस जरूर नेताओं की आपसी खींचतान से भाजपा के सिर पर ‘हाथÓ ही रख रही है।
दरअसल कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदरिा हृदयेश के निधन के बाद नेता प्रतिपक्ष की सीट खाली हुई तो कांग्रेस में एक बार राजनीति चरम पर पहुंची। किसी तरह प्रदेश कांग्रेस में मचे घमासान को शांत करने की कोशिश में केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश अध्यक्ष समेत चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाने के साथ ही तमाम बड़े नेताओं को संगठन में किसी न किसी रूप में रखा है। मगर कांग्रेसियों की एक होने की कोशिश में देहरादून में आयोजित प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी कार्यक्रम ने जो पलीता लगाया उससे एक बार फिर साफ है कि कांग्रेस के बड़े नेता अपनी-अपनी राह अलग चुनकर कांग्रेस को सत्ता की राह से दूर जरूर कर रहे हैं। भाजपा ने ऐलान कर दिया है कि युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में वह चुनाव रण में उतरेगी। इसके इतर, अगर अनुभव की बात करें तो कांग्रेस चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष हरीश रावत अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस में चुनाव की कमान संभाल रहे हैं। हरीश रावत के पास अनुभव की कोई कमी नहीं, फिर बात चाहे संगठन की हो या फिर चुनावी मैनेजमेंट की। मगर कांग्रेस के बिखरा कुनबा आपसी जूतमपैजार से भाजपा को लगभग वाकओवर देने जैसी स्थिति में दिख रहा है।