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नाम मतदाता सूची से गायब होना लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन, यह चिंताजनक एवं निंदनीय

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नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने निकाय चुनाव में हजारों वोटरों के नाम गायब होने पर गहरी नाराजगी जताई है। यहां जारी एक विज्ञप्ति में नेता प्रतिपक्ष का कहना था कि चुनाव में मतदान एक मौलिक अधिकार है। प्रणाली को सभी के लिए पारदर्शिता और सुचारू प्रक्रिया सुनिश्चित करनी चाहिए थी। लेकिन चुनाव आयोग, सरकार एवं सरकारी मशीनरी की विफलता का प्रत्यक्ष प्रमाण ये निकाय चुनाव रहा और वो चुनाव कराने में पूर्णता विफल साबित हुए।

नेता प्रतिपक्ष आर्य ने कहा कि जिस प्रकार से सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर लोकतंत्र का गला घोंटने का प्रयास किया गया वह बेहद निंदनीय है। पिछले आम चुनावों में अपने मताधिकार का प्रयोग करने वाले हजारो मतदाताओं के नाम मतदान केंद्रों की मतदाता सूची में नहीं थे। साफ तौर पर मतदाता सूची से अच्छे खासे स्तर पर नाम सूची से गायब होना लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन है और चिंताजनक एवं निंदनीय है। अख़बार में चुनाव आयोग ने दस हेल्पलाइन फ़ोन नंबर दिए थे लेकिन अधिकांश लोगो ने मुझे बताया की एक भी नंबर नहीं लग रहा, घंटी बज रही पर किसी ने फ़ोन उठाया ही नहीं!

जब पूर्व मुख्यमंत्री तक के नाम वोटर लिस्ट से गायब हैं, तब आम जनता से वोट डालने की अपील का क्या फ़ायदा. इसे सुधारना ही होगा, नहीं तो जो उँगलियाँ वोट देने के बाद शान से उठायी जाती हैं, वो सरकार की मंशा पर उठने लगेंगी. चुनावी प्रक्रिया में विश्वास लोकतंत्र की सबसे बड़ी ज़रूरत है.दुखद ये है जिन नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन होता है, उनके लिए कोई कानूनी सहारा नहीं है, क्योंकि कानून में उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने का कोई प्रावधान नहीं है। जवाबदेही की इस कमी के बावजूद, इन अधिकारों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई संभव नहीं है। अब जनमानस का जागने का समय है, अपने दस्ताने उतारें, अपनी आस्तीन ऊपर चढ़ाएं और लड़ने के लिए तैयार हो जाएं। सविनय अवज्ञा पर जाएं। निरंकुश सरकार को चिन्हित करें।

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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