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माई डॉक्टर्स क्लिनिक: अस्पताल से डॉक्टर की पहचान नहीं, डॉक्टर के नाम से अस्पताल जाना जाता है यहां…
हल्द्वानी। हड्डियों और जोड़ों के दर्द से पहले यहां मरीज के मन का दर्द दूर हो जाता है। बीमारी के असल इलाज से पहले यह उनके मानसिक इलाज जैसा ही है। यह केवल और केवल एक मृदु भाषी सदाबहार व्यक्तित्व के सामने दिखते ही तब स्वतः स्फूर्त रूप से सामने आता है जब उनकी सदाबहार मुस्कान और सुंदर वाणी का मिला-जुला रूप अपना असर दिखाना शुरू करता है। मेडिकल क्षेत्र में सिद्ध हस्त और विद्वता का प्रमाण देने की यहां आवश्यकता इसलिए नहीं है कि उनका नाम ही अपने आप में इस बात को सिद्ध करता है।
बात यही कोई सन 2004-5 के आसपास की है। कुमाऊं का सबसे बड़ा शहर हल्द्वानी तब मेडिकल सुविधाओं के लिहाज से कई मायनों में बरेली मुरादाबाद जैसे बड़े शहरों पर ही आश्रित था। नैनीताल रोड में उस वक्त डॉ. जोगिंदर सिंह खुराना द्वारा संचालित कृष्णा नर्सिंग होम कुमाऊं में गंभीर रोगियों को बाहर जाने से रोक सकने में सक्षम होने की ओर कदम बढ़ा चुका था। मेडिकल क्षेत्र में न्यूरो सर्जरी जैसी सुविधा भी तब यहां प्रदान की जाने लगी थी। और इसी बीच यहां आगमन हुआ वरिष्ठ ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ भूपेंद्र सिंह बिष्ट का। हड्डी रोगों के गंभीर मामलों में भी यहां मरीजों को इलाज मिलना शुरू हुआ तो धीरे-धीरे डॉक्टर बिष्ट की ख्याति बढ़ने लगी। हड्डी रोगों से संबंधित तमाम जटिल ऑपरेशन भी यहां किए जाने लगे थे। धीरे-धीरे समय आगे बढ़ता गया और डाक्टर बिष्ट कुमाऊं भर में हड्डी रोग विशेषज्ञता के क्षेत्र में एक बड़ा नाम बनने लगे और बहुत जल्द वह बड़ा नाम बन भी गए।
अपने व्यवहार में जबरन धीर गंभीर होने का लबादा कभी डाक्टर बिष्ट ने नहीं ओढ़ा। एक सदाबहार मुस्कान के साथ वह जिस तरह से मरीजों से रूबरू हुए तो वही उनकी एक पहचान बनती गई। व्यवहार कुशलता के साथ उनका मेडिकल के क्षेत्र में कुशल हाथ और इन दोनों के संगम ने उन्हें एक ख्यातिलब्ध और प्रतिष्ठित चिकित्सा के तौर पर पूरे कुमाऊं भर ही नहीं वरन हल्द्वानी और उससे जुड़े उत्तर प्रदेश के कई इलाकों के मरीजों के मन में भी पहचान बनवाई। किसी भी अस्पताल पर अब डाक्टर बिष्ट की निर्भरता नहीं थी क्योंकि वह खुद में अब एक नाम बन चुका था। जैसा कि मैं ऊपर लिखा है कि अस्पताल के नाम से डाक्टर बिष्ट की पहचान नहीं बल्कि डाक्टर बिष्ट के नाम से अस्पताल जाना जाता है। वहीं अस्पताल आज माय डॉक्टर क्लीनिक नाम से कमलवागांजा रोड पर संचालित हो रहा है। बहुत कम समय में ही इस स्थान पर संचालित होने के बावजूद अब यह जगह एक लैंड मार्क के रूप में सामने आ रही है और वह लैंड मार्क है माय डॉक्टर क्लीनिक। डॉ भूपेंद्र सिंह बिष्ट के साथ यहां उनकी धर्मपत्नी डॉक्टर वीणा बिष्ट भी मरीज देखती हैं।
एक संक्षिप्त साक्षात्कार में डॉक्टर भूपेंद्र सिंह बिष्ट का कहना था कि वह चाहते हैं कि मरीजों को यहां वह सब सुविधा मिले जो कि बड़े शहरों में मिलती हैं। जटिल से जटिल ऑपरेशन वह हल्द्वानी में कर रहे हैं। एक कांफ्रेंस के सिलसिले में शहर से बाहर जा रहे डाक्टर बिष्ट ने कहा कि मेडिकल क्षेत्र में भी हर दिन नई-नई चीज सामने आ रही हैं। किसी भी फील्ड में खुद को अपग्रेड करने के लिए नई तकनीक के बारे में जानना और एडवांस टेक्नोलॉजी से रूबरू होना जरूरी है, जैसा कि वह पिछले लंबे समय से करते आ रहे हैं। डाक्टर बिष्ट ने कहा कि मरीजों को उनके अस्पताल में बेहतर से बेहतर सुविधाएं मिले यही उनकी कोशिश रहेगी।