Connect with us

others

लोहाघाट: आश्रम के लिए जमीन देने पर अंग्रेज अफसर ने क्या कहा… अंग्रेज अफसर का स्वामी विवेकानंद से जुड़ा 126 साल पुराना यह फोटो यहां देखें खबर के साथ….

खबर शेयर करें -

गणेश दत्त पाण्डेय, लोहाघाट। स्वामी विवेकानंद जी की इच्छा तो मायावती आश्रम में ही रहने की थी परंतु ईश्वर ने उनसे कई काम लेने थे। स्वामी जी के मायावती आश्रम में आगमन एवं विदाई के समय स्वयं प्रकृति बनी रही साक्षी।

126 वर्ष पूर्व पुराना फोटो,जब 1899 में आश्रम की स्थापना के लिए स्वामीजी के गुरुभाई व अन्य संत लोग कैप्टन सेवियर से विचार विमर्श करते हुए(दाएं कैप्टन सेवियर)

लोहाघाट। महामनीषी स्वामी विवेकानंद जी ने वर्ष 1901 में 3 जनवरी से 18 जनवरी तक अद्वैत आश्रम मायावती में प्रवास किया था। इस अद्भुत घटना की स्वयं प्रकृति साक्षी बनी रही । पुराणों के अनुसार जब धर्म की हानि व अधर्म की वृद्धि होती है तब भगवान मनुष्य रूप में जन्म लेते हैं। स्वामी विवेकानंद जी ने 39 वर्ष की अल्पायु में ही समाज व राष्ट्र के लिए जो कुछ किया उसे देखते हुए ही उन्हें अवतारी पुरुष कहा जाने लगा था। यही वजह थी कि स्वामी जी के यहां आगमन के दिन जहां प्रकृति ने बर्फ की चादर बिछाकर उनका स्वागत किया वहीं 18 जनवरी को मायावती छोड़ते समय ऐसी चटक धूप खिल गई कि चारों ओर बर्फ से ढकी पहाड़ियों पर सूर्य की किरणें पढ़ने से वह दमकने व धमकने लगी। मानो प्रकृति इस महापुरुष की विदाई में उनका मार्ग सुगम बना रही थी।

स्वामी जी के मायावती प्रवास के दौरान मौसम में उतार-चढ़ाव जारी रहा। आश्रम के समीप शिखर में स्थित धर्मघर में उन्होंने उस स्थान में भी ध्यान किया था। इस दौरान उन्हें यहां कुटिया बनाकर रहने एवं आश्रम को अद्वैत के लिए समर्पित करने की प्रेरणा मिली जी। आश्रम के उत्तरी छोर में स्थित झील के किनारे जाकर वे इतने प्रसन्न हो गए कि यहां भी उन्होंने अपना शेष जीवन बिताने की इच्छा व्यक्त की थी। लेकिन ईश्वर ने तो स्वामी जी से और कई काम लेने थे। ठंड के कारण वह मायावती को छोड़ने के लिए विवश हो गए। 18 जनवरी की रात उन्होंने चंपावत में बिताई थी, जहां चंपावत के तहसीलदार ने उन्हें तथा उनके साथ गए सभी संतों को भोज कराया था।

मायावती आश्रम को देखने के बाद से ही स्वामी जी बेहद प्रसन्न थे। उन्होंने अपने गुरु भाइयों को पहले ही भेज कर यहां उनकी मंशा के अनुसार आश्रम की तलाश कर ली थी। यह स्थान कैप्टन सेवियर का था। जब उन्हें पता चला कि इस स्थान में स्वामी जी की इच्छा आश्रम बनाने की है तब उन्होंने यहां की समस्त भूमि उन्हें देने की पेशकश की थी। मायावती आश्रम के बारे में स्वामी जी का विचार था कि “व्यक्तियों के जीवन के उदात्त और मनुष्य जाति को संप्रेरित करने के इस अभियान में हम सत्य को अधिक मुक्त और पूर्ण अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से, हम इसकी आदि पूर्णभूमि हिमालय के शिखर पर इस अद्वैत आश्रम को स्थापित कर रहे हैं। यहां अद्वैत दर्शन के समस्त अंधविश्वासों व दुर्बलताजनक दृश्यों के स्पर्श से मुक्त रखा जा सकेगा। यहां एकमात्र शुद्ध, सरल एकत्व सिद्धांत के अतिरिक्त कुछ भी नहीं पढ़ाया जाएगा और न ही व्यवहार में लाया जाएगा। सभी दर्शनों से पूर्ण सहानभूति रखते हुए यह आश्रम अद्वैत व केवल अद्वैत के लिए ही समर्पित होगा।” स्वामी जी की भावनाओं को देखते हुए ही यहां आश्रम की स्थापना के बाद से की जा रही पूजा पद्धति स्वयं बंद हो गई।

अद्वैत आश्रम मायावती श्री रामकृष्ण मिशन द्वारा संचालित देश-विदेश के आश्रमों में अपना विशिष्ट स्थान इसलिए रखता है कि इसकी स्थापना स्वयं स्वामी जी की परिकल्पनाओं के अनुसार ही की गई थी। उस वक्त आश्रम के जो नियम स्वामी जी ने बनाए थे, उनका 125 वर्ष बाद भी आश्रम में अक्षरशः पालन किया जा रहा है। अद्वैत आश्रम मायावती के अध्यक्ष स्वामी शुद्धिदानंद जी महाराज का कहना है कि युगपुरुष स्वामीजी ने जो विरासत छोड़ी थी,उसे उनकी भावधारा के अनुसार प्रवाहित किया जा रहा है।

Continue Reading

संपादक - कस्तूरी न्यूज़

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More in others

Advertisiment

Recent Posts

Facebook

Trending Posts

You cannot copy content of this page