राजनीति
विधानसभा चुनाव और बैडमिंटन कोर्ट…
मनोज लोहनी
गर्दन बहुत जल्दी-जल्दी मूव करती है। दिशा बदलती है। पहले इधर, अगले ही पल उधर और फि र इधर…। यानि इधर-उधर, इधर-उधर, इधर-उधर..। दो पाले होते हैं उसमें एक ‘फूल यहां-वहां जाता है ‘हाथÓ से। बैडमिंटन कोर्ट में यही होता है, गर्दन हर पल चलायमान। यह बैडमिंटन कोर्ट थोड़ा अलग है, मगर पक्के तौर पर है बैडमिंटन का कोर्ट ही। इधर-उधर दो पाले, कांग्रेस-भाजपानुमा। यह गया इधर से उधर, लो उधर से भी आया। मुकाबला कड़ा है दोनों में, इधर से उधर बहुत, अब उधर से भी इधर बहुत। चुनावी कोर्ट में नेताओं की धमाचौकड़ी, पाला बदलने की..। जनता चकरायमान है, यह क्या हो रहा है? मुंह से बात निकली भाजपा के फ लां प्रत्याशी के क्षेत्र में समीकरण की…अभी बात पूरी भी नहीं हुई..अरे वह तो कांग्रेसी हो गया। कुछ घड़ी पहले इधर, अभी उधर। पाला बदलने की अजीब होड़। एक जमाने में कांग्रेस के ‘नारायणÓ तक भाजपाई हो चले। दिमागी राजनीति बिलकुल सुन्न..उसे नहीं मालूम उसे कहां ले जाया जा रहा है। राजनीति आंख खोलती है तो खुद को कहीं पाती है, हाथ में बुके या फि र किसी दल का चुनाव चिन्ह लिए। खैर बात चल रही थी कोर्ट और तमाशे की। राज करने की धांसू नीति, प्यादे इधर-उधर…खेल अपने कब्जे में। सब कुछ से आगे भी क्या कुछ होता है, खेलना है तो फि र सब कुछ झोंकना ही होगा। फि लवक्त ठंडे मौसम में दल बदलने को सारी ऊर्जा का झोंकीकरण। पाला बदलने के बाद कौन फ ाउल लाइन के अंदर गिरा कौन बाहर? इसका इंतजार १० मार्च तक। अभी खेल का मजा, गर्दन को आराम बिलकुल नहीं। इस खेल में ‘बहुगुणी नारायणÓ हैं तो ‘यशÓ होना ही था। वैसे इस वक्त हर किसी को ‘यसÓ ही है ‘नोÓ बिलकुल नहीं। तो चलें हम भी कोई ठौर, किसी पाले इस ठंडे मौसम में…। (री-पोस्ट)
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