उत्तर प्रदेश
टीएमयू में तकनीक हस्तांतरण से व्यवसायीकरण पर व्याख्यान
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के फार्मेसी कॉलेज की इंस्टीट्यूट इन्नोवेशन काउन्सिल, केंद्रीय आईआईसी और बिज़नेस इन्क्यूबेशन सेंटर की ओर से गेस्ट लेक्चर
- ख़ास बातें
- फार्मूलेशन, इन्नोवेशन, पेटेंट, मान्यता और आईडिएशन पर बोले डॉ. महेश वर्मा
- इन्नोवेशन बौद्धिकता, उद्यमशीलता और समर्पण का प्रतिरूप: प्रो. मंजुला जैन
- डॉ. अनुराग वर्मा ने डाला नवोन्मेष और स्टार्टअप की सार्थकता पर प्रकाश
- शोध, पेटेंट और सीड मनी धारकों ने अपनी शंकाओं का समाधान किया प्राप्त
अदम्य हर्बल केयर प्रा. लि., लखनऊ के संस्थापक एवम् निदेशक डॉ. महेश वर्मा ने विस्तार से प्रकाश डाला, कैसे शोध के जरिए विभिन्न बीमारियों के लिए फार्मूलेशन तैयार करते हैं और उन्हें मान्यता के लिए किन-किन चरणों से गुजरना पड़ता है। उन्होंने इन्नोवेशन और आईडिएशन के मध्य अंतर को भी स्पष्ट किया। गंभीर और लाइलाज बीमारियों के उपचार में आने वाली चुनौतियों और समाधान पर भी विशेष चर्चा की। उन्होंने प्रोद्यौगिकी की तत्परता के 1 से 9 तक के संपूर्ण स्तरों के बारे में भी उदाहरण सहित बताया। साथ ही उन्होंने नवोन्मेष चक्र के विभिन्न पहलुओं को भी साझा किया। डॉ. वर्मा तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के फार्मेसी कॉलेज की इंस्टीट्यूट इन्नोवेशन कॉउन्सिल, केंद्रीय आईआईसी और बिज़नेस इन्क्यूबेशन सेंटर की ओर से तकनीक हस्तांतरण से व्यवसायीकरण पर आयोजित अतिथि व्याख्यान में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
इससे पहले डॉ. महेश वर्मा ने बतौर मुख्य अतिथि, टीएमयू की डीन एकेडमिक्स और आईआईसी की प्रेसिडेंट प्रो. मंजुला जैन, फार्मेसी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अनुराग वर्मा, आईआईसी केंद्रीय टीम की संयोजक प्रो. गीतंशु डावर, उपप्राचार्य प्रो. पियूष मित्तल, फार्मेसी के आईआईसी संयोजक प्रो. मुकेश सिकरवार, डिप्लोमा फार्मेसी प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर एवम् कार्यक्रम समन्वयक श्री आशीष सिंघई ने मां सरस्वती पर माल्यार्पण करके सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
प्रो. मंजुला जैन ने मुख्य अतिथि डॉ. महेश वर्मा को पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया और स्मृति चिन्ह भी भेट किए। अंत में राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।मुख्य अतिथि डॉ. वर्मा ने इन्नोवेशन से मार्केटिंग तक हर्बल उत्पादों की यात्रा को बताते हुए कहा, टेक्नोलॉजी रेडीनेस लेवल-टीआरएल के विभिन्न चरणों में पेटेंट की वास्तविक सामर्थ्य का पता चल जाता है। इसे समझाने के लिए उन्होंने अपनी कंपनी के उत्पाद ए एफ एच-वी 31 का डेंगू के बुखार, स्वाइन फ्लू, जापानीज इन्सेफेलाइटिस, चिकुनगुनिया जैसी बीमारियों में शोध से लेकर आगे तक की यात्रा को बताया। साथ ही बताया, विभिन्न उत्पादों के बारे में किस तरह का शोध कार्य उनकी कंपनी और सीएसआईआर एवम् एम्स जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं के साथ मिलकर आगे बढ रहा है। किस तरह शोध और नवोन्मेष से प्राप्त उत्पादों को बाज़ार में लाकर व्यवसायीकरण किया जाता है।
डीन एकेडमिक्स प्रो. मंजुला जैन ने जीवन के दृष्टांतों के माध्यम से सफलता के विभिन्न आयामों को प्राप्त करने के तरीकों को बड़े ही रोचक तरीके से समझाया। उन्होंने इस क्रियाशील मानसिकता पर भी ध्यान आकर्षित किया, इन्नोवेशन कभी पैसे से नहीं आता। यह तो पैसा उपार्जन का अद्भुत रूप भी है और आपकी नयी सोच। इन्नोवेशन एक खास किस्म की बौद्धिकता, उद्यमशीलता और सतत कार्मिक समर्पण का प्रतिरूप होता है। उसकी मौलिकता ही उसको पहचान दिलाती है। उन्होंने नूतन विचार से लेकर उसकी संस्थापना, अनुपालन, निरंतरता, क्रमिक संयोजन और कुशल व्यवस्थापन जैसे चरणों से सफलता के पायदानों पर आगे बढ़ने के तरीकों को भी समझाया।फार्मेसी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अनुराग वर्मा ने वर्तमान में नवोन्मेष और स्टार्टअप की आवश्यकतओं और सार्थकता पर प्रकाश डाला। छात्रों और शोधकर्ताओं को प्रेरित करते हुए शोध के मूल तत्त्व और जीवन में होने वाली घटनाओं के बारीक़ विश्लेषण करने के बारे में बताया। छात्रों को अथक परिश्रम से किस तरह दुरूह लक्ष्य हासिल करने के बारे में बताया। उन्होंने कहा, व्यक्ति की विचार प्रणाली और उसके दृष्टिकोण से ही सफलता की ऊंचाइयां तय होती हैं। आईआईसी केंद्रीय टीम की संयोजक प्रो. गीतंशु डावर ने कार्यक्रम की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया, किस तरह नवोन्मेष किया जा सकता है? टेक्नोलॉजी रेडीनेस अर्थात प्रोद्यौगिकी की तत्परता के विभिन्न आयामों को समझाना बहुत जरूरी है।
कार्यक्रम समन्वयक श्री आशीष सिंघई ने समस्त आयोजकों और उपस्थित जनसमूह का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में फार्मेसी, नर्सिंग, पैरामेडिकल, फिजियोथेरेपी, मैनेजमेंट और एग्रीकल्चर के छात्र-छात्राओं, शिक्षकों, शोधकर्ताओं, पेटेंट आवेदकों और सीड मनी धारकों ने अपनी विभिन्न शंकाओ का समाधान प्राप्त किया। संचालन फार्मेसी कॉलेज की फैकल्टी श्रीमती उर्वशी सक्सेना ने किया।