Connect with us
हाईकोर्ट ने शराब के ट्रेटा पैक पर क्यूआर कोड लगाने के दिए निर्देश, बिक्री पर लगी रोक हटाई, प्रदूषण कम करने की कवायद

उत्तराखण्ड

उत्तराखंड में शराब के शौकीनों के लिए खुशखबरी, अब फिर से मिलना शुरू होगा टैट्रा पैक

खबर शेयर करें -

नैनीताल: जगह-जगह पहाड़ों पर शराब की टूटी हुई बोतलों को देख, बिखरे हुए कांच को देख मूड खराब हो जाता है। शराब की यह बोतलें केवल पहाड़ों के सौंदर्य को खराब नहीं कर रही हैं बल्कि प्रदूषण भी बढ़ा रही है। मगर इसका एक अच्छा अल्टरनेट ऑप्शन है टेट्रा पैक। उत्तराखंड सरकार ने बीच में टैट्रा पैक लांच किया था जिस पर आपत्ति जताते हुए उत्तराखंड के एक निवासी ने कोर्ट में याचिका दर्ज की थी।

इसी संबंध में नैनीताल हाई कोर्ट द्वारा सख्त निर्णय लिया गया है। नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए शराब के ट्रेटा पैक की बिक्री को लेकर दायर जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है। इसके साथ ही ट्रेटा पैक की बिक्री पर लगी रोक हटा दी गई है। कोर्ट ने सरकार से टेट्रा पैक पर क्यूआर कोड लगाने तथा प्रति पैक दस रुपये प्रोत्साहन राशि देने के लिए कहा है। इस आधार पर कोर्ट ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि वेस्ट के निस्तारण के लिए सरकार क्या कदम उठा सकती है। इस संबंध में राज्य सरकार ने जवाब पेश कर कहा कि इस मामले को सरकार गंभीरता से ले रही है और ट्रेटा पैक पर बार कोड लगाकर उसे वापस लाने की नीति बना रही है। वहीं, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से कहा गया कि चार धाम यात्रा पर राज्य सरकार प्रत्येक वाटर बोतल व प्लास्टिकयुक्त पैक सामग्री पर क्यू आर कोड लगा रही है।

ठीक उसी तरह प्रत्येक ट्रेटा पैक पर भी क्यूआर कोड लगाए जाएं। वहीं विक्रेता ग्राहक से निर्धारित मूल्य से दस रुपये अधिक लेंगे और इसकी भी शर्त रखेंगे कि दस रुपये तभी वापस होंगे जब यह पैक उपयोग के बाद दुकानदार को वापस करेंगे। ऐसे में कोर्ट के आदेश के बाद वापस से टैट्रा पैक की बिक्री शुरू हो जाएगी और ग्राहक इनका इस्तेमाल कर दुकानदारों को वापस कर देंगे जिससे प्रदूषण में कमी आएगी।

दरअसल चंपावत निवासी नरेश चंद्र ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि सरकार की नई आबकारी नीति के अनुसार शराब के 200 एमएल के पैक को ट्रेटा पैक में बेचने की योजना है। ये सरकार के प्लास्टिक वेस्ट नियमावली के विरुद्ध है। इसकी वजह से पर्यवारण को नुकसान होगा। याचिकाकर्ता की ओर से इस पर रोक लगाने की मांग की थी। कोर्ट द्वारा याचिका को निस्तारित कर दिया गया है।

Continue Reading

संपादक - कस्तूरी न्यूज़

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More in उत्तराखण्ड

Advertisiment

Recent Posts

Facebook

Trending Posts

You cannot copy content of this page