उत्तराखण्ड
केदारनाथ उप चुनाव: संगठन और प्रदेश नेतृत्व के बीच “यश” से ही बनेगी टिकट की बात, नैनीताल रैली से भी जोश हाई
केदारनाथ उपचुनाव की रणनीति और प्रत्याशी को लेकर कांग्रेस की 24 अक्तूबर को दिल्ली में बैठक होगी। मंगलवार को प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा ने वर्चुअल बैठक में प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं से चुनावी तैयारियों पर चर्चा कर सुझाव भी लिए। माना जा रहा है कि इस बैठक में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य की भूमिका अहम होने वाली है क्योंकि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के बीच पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट सीधे केंद्र को भेजे जाने के बाद संगठन में कुछ हलचल जरूर है। इसी हलचल के बीच नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य की कोशिश होगी कि नैनीताल जनआक्रोश रैली में कार्यकर्ताओं के बीच बने जोश को भी बरकरार रखा जाए और टिकट वितरण का मामला जल्द से जल्द सुलझे ताकि चुनाव में पूरी तैयारी के साथ जाया जा सके।
प्रदेश प्रभारी ने कहा, केदारनाथ उपचुनाव में सभी नेताओं को एकजुट होकर काम करना है। इसके लिए बूथ स्तर पर चुनाव की रणनीति बना कर चलना है। बैठक में प्रदेश सहप्रभारी परगट सिंह, सुरेंद्र शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, पूर्व सीएम हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व मंत्री नवप्रभात, विधायक प्रीतम सिंह, भुवन कापड़ी, वीरेंद्र जाती, लखपत बुटोला, प्रदेश उपाध्यक्ष संगठन मथुरादत्त जोशी शामिल हुए।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा, 24 अक्तूबर को दिल्ली में प्रदेश प्रभारी ने बैठक रखी है, जिसमें नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, विधायक प्रीतम सिंह के अलावा चारों पर्यवेक्षक भी मौजूद रहेंगे। बैठक में चुनावी रणनीति के साथ प्रत्याशी को लेकर विस्तार से चर्चा की जाएगी। उधर इस बैठक में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। पूर्व विधायक और नेता प्रतिपक्ष के पुत्र संजीव आर्य के संयोजन में नैनीताल में हुई जाना क्रॉस रैली के बाद कार्यकर्ताओं के जोश में काफी उत्साह है ऐसा पार्टी कैडर का मानना है। इस रैली के बहाने प्रदेश में यह संदेश भी साफ तरीके से देने की कोशिश की गई है कि पार्टी नेतृत्व में पूरी तरह से एकजुटता है और सब एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं। दूसरी और कांग्रेस छोड़ भाजपा में गए कुलदीप सिंह रावत को लेकर भी कांग्रेस पार्टी काफी सतर्क है। इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी क्या कदम उठाती है इस पर कांग्रेस की निगाह लगातार है।
बता दें कि भाजपा ने प्रत्याशी चयन के लिए केंद्रीय संसदीय बोर्ड को जो छह नाम भेजे हैं, उनमें कुलदीप सिंह रावत का नाम भी शामिल है। लेकिन, बदरीनाथ के सबक के बाद केदारनाथ में पार्टी की नर्सरी से बाहर के चेहरे पर दांव लगाने का जोखिम पार्टी उठाएगी, इस बात की कम ही संभावना जताई जा रही है। माना जा रहा कि पार्टी ऐसे चेहरे पर दांव लगाएगी, जिसके लिए पार्टी कैडर का भरपूर समर्थन हो। कुलदीप समर्थक इसे लेकर बेहद आशंकित है। ऐसे में अगर कुछ दाया बाया होता है तो कांग्रेस उसे मौखिक का पूरा लाभ उठाने की कोशिश करेगी।