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जलागम परिषद उपाध्यक्ष कोरंगा ने यक्षवती नदी परिक्षेत्र में 9 किलोमीटर पैदल भ्रमण कर ली स्थिति की जानकारी
पिथौरागढ़। राज्य स्तरीय जलागम परिषद के उपाध्यक्ष शंकर कोरंगा ने पिथौरागढ़ में यक्षवती नदी परिक्षेत्र में नौ किलोमीटर क्षेत्र का पैदल भ्रमण किया। उन्होंने उदगम सहित अन्य जलस्रोतों का निरीक्षण किया तथा ग्रामीणों से स्रोतों की जानकारी हासिल की।
श्री कोरंगा ने कहा कि तमाम नदियों के उद्गम स्थल का ध्यान रखा जाना बहुत जरूरी है। उद्गम के बाद ही एक नदी अपना पूरा आकार लेती है जिससे कि लोगों की तमाम अपेक्षाओं की पूर्ति होती है। उन्होंने कहा कि जल स्रोतों के बचाव के लिए चला खाल जैसी योजनाएं सरकार चल रही है ताकि जल स्रोतों को संरक्षित रखा जा सके।



श्री कोरंगा ने पैदल भ्रमण कर नदी के उदगम सहित उसके मूल 101 जलस्रोतों का निरीक्षण किया। क्षेत्र के ग्रामीणों से स्रोतों की जानकारी ली। रविवार अपरान्ह को पिथौरागढ़ पहुंचे जलागम परिषद के उपाध्यक्ष शंकर सिंह कोरंगा ने जलागम परियोजना के अधिकारियों के साथ यक्षवती नंदी और उसके उदगम सहित जलवृद्धि करने वाले 101 जलस्रोतों का निरीक्षण किया। उन्होंने यक्षवती नदी में में गंदगी पर गहरी चिंता जताई। जलागम के अधिकारियों से यक्षवतीनदाजल संरक्षण के लिए किए गए और प्रस्तावित कार्यों की जानकारी ली। इसके उपरांत उन्होंने पैदल चलकर चंडाक पहाड़ी के नदी के उद्गम स्थल से लेकर उसके सहायक छोटे-छोटे जल स्रोतों के अलावा बड़ी सहायक नालों का निरीक्षण किया। सारा परियोजना के तहत प्रस्तावित यक्षवती जल संरक्षण के लिए विभाग द्वारा की जा रही कार्यवाही की जानकारी लेते हुए आवश्यक दिशा निर्देश दिए।
निरीक्षणके दौरान स्थानीय ग्रामीणों से नदी के इतिहास व नदी के जल में विगत दशकों में आयी कमी के कारण लेते हुए संरक्षण के संबंध में सुझाव मांगे। उन्होंने जागरण से बात करते हुए कहा कि यक्षवती नदी पिथौरागढ़ की पहचान है और उनकी प्राथमिकता यक्षवती का संरक्षण है।’ उन्होंने बताया कि सारा योजना के तहत संरक्षण का कार्य तीनू विभाग सिंचाई विभाग, लघु सिंचाई और वन विभाग करेंगे।

