साहित्य-काव्य
रूसी युद्धाभ्यास में भारत
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रघोत्तम शुक्लसम्प्रति रूस के ब्लाडीबोस्टक में एक दर्जन देशों का एक युद्धाभ्यास चल रहा है।यह 'वास्तोक'नाम से है।इसमें चीन जैसा भारत का शक्तशाली शत्रु भी है,जिससे अपने देश का शह मात का खेल निरंतर चला करता है।इसमें वह बेलारूस भी शामिल है,जिसने रुस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने में आक्रामक को भरपूर सहयोग किया है।वहाॅ भी सत्ता तानाशाह के ही पास है,जैसा रूस और चीन में है।इसमें वह सीरिया है,जो रूस के पक्ष मे यूक्रेन में सैनिक भेजने को तैयार था।इसमें भारत भी अपनी गोरखा रेजीमेण्ट की 80 सैनिकों की टुकड़ी के जरिये शिरकत कर रहा है।यह बेमेल साझा प्रतीत हो रहा है।भारत विश्व का सम्मानित सबसे विशाल लोकतंत्र है और अन्य देश व्यक्ति या पार्टी तानाशाही वाले ही हैं।ये देश अन्यों को सताने और उनकी भूमि पर बलात् कब्जा करने के लिये जाने जाते हैं।गंगा और मदार का कौन साथ?अमेरिका सहित लोकतांत्रिक देश इसे अनपेक्षित मानते हैं और नाखुश है
इस कार्य में भारत की क्या चतुराई है,यह समझ से परे है।रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला किये जाने के प्रकरण पर हर मञ्च पर भारत रूस का प्रत्यक्ष या परोक्ष समर्थन करके आक्रांता को बल देता रहा।रूस पर लगे आर्थिक प्रतिबन्धों को धता बताकर उससे रिकर्ड मात्रा में सस्ता कच्चा तेल खरीदा,जिससे आक्रांता की आर्थिक दशा सुधरी,किंतु भारत की जनता को इससे कोई फायदा नहीं हुवा।यहाॅ तो तेल महगा ही होता रहा।चीन से हमारे बुरे सम्बन्ध जग जाहिर हैं;फिर उसके साथ सैन्य ड्रिल कैसी?क्या औचित्य है इसका?दावत और अदावत एक साथ कैसे?"दोउ न होहिं इक संग भुवालू।हॅसब ठठाइ फुलावब गालू।।"
मैं तो इसे अदूरदर्शिता और रणनीतिक अपरिपक्वता ही मानता हूॅ।चीन से कभी नेहरू काल में "पञ्चशील"सिद्धांत अपनाकर "हिंदी चीनी भाई भाई"के नारे लगाये गये,तो कभी शी जिनपिंग को मोदी द्वारा झूला झुलाया गया;किंतु उन्होंने तो हर बार धोखा ही दिया।तब हमला हुवा और इस बार लद्दाख में अतिक्रमण।'हम दुआ लिखते रहे और वे दग़ा पढ़ते रहे।रही रूस की बात,तो वह चीन के मुकबले हमारी तरफ कभी नहीं बोलेगा।यह ध्रुव सत्य है।उसकी घोषित नीति है कि चीन 'भाई' और भारत 'मित्र' है।
ऐसे में सारे वैदेशिक निर्णय दो नौकरशाहों 'एस. जयशंकर(पूर्व आई ए एस) और अजित कुमार डोभाल(पूर्व आई पी एस) के चश्में से न देखें जायॅ,तो अच्छा होगा;और यदि 'बड़े'स्वयं यह सब कर रहे हैं,तो वे मृग मरीचिका में ही हैं।