नैनीताल
हल्द्वानी रेलवे प्रकरण में शमीम बानो की अपील हाईकोर्ट में खारिज, याचिकर्ता को धमकी मामले में एसएसपी से दो हफ्ते में रिपोर्ट तलब
नैनीताल। उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने रेलवे भूमि हल्द्वानी प्रकरण में एक समिति द्वारा जनहित याचिका कर्ता रविशंकर जोशी को मिल रही धमकियों की जांच कर दो हफ्ते के भीतर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नैनीताल को दिए हैं। हाईकोर्ट ने जनहित याचिकाकर्ता की सुरक्षा की जानकारी भी मांगी है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ में हुई। मामले के अनुसार रेलवे की भूमि से अतिक्रमण हटाने को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता रविशंकर जोशी से बनभूलपुरा बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक टीआर पांडे के नेतृत्व में क्षेत्र के बच्चों ने 1 जुलाई को बाल आग्रह करने का निर्णय लिया था। जिसके तहत बड़ी संख्या में बच्चों ने जनहित याचिकाकर्ता के आवास में जाकर उनसे याचिका वापस लेने की मांग की जानी थी। इस बीच कुछ लोग याचिकाकर्ता के आवास पर जाकर उनसे याचिका वापस लेने का दबाव बना भी आये। इस मामले की जानकारी याचिकाकर्ता ने तुरंत 2 जुलाई को प्रशासन को दी और 5 जुलाई को उन्होंने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश के समक्ष प्रार्थना पत्र देकर सुरक्षा के मुद्दे पर सुनवाई हेतु मेंशन कराया।
मुख्य न्यायधीश ने इस मामले को सुनने के लिये न्यायमूर्ति शरद शर्मा व न्यायमूर्ति आर सी खुल्बे की विशेष बेंच गठित की। यह खण्डपीठ पहले से ही जनहित याचिका की सुनवाई कर रही है। खण्डपीठ ने सुरक्षा को लेकर दायर प्रार्थना पत्र की सुनवाई के दौरान एसएसपी नैनीताल से जनहित याचिकाकर्ता द्वारा दी गई शिकायत पर की गई कार्यवाही व याचिकाकर्ता की सुरक्षा को लेकर की गई व्यवस्था की जांच कर रिपोर्ट दो हफ्ते भीतर कोर्ट में पेश करने को कहा है। इस दौरान मुख्य स्थाई अधिवक्ता सीएस रावत ने बताया कि जनहित याचिका कर्ता व उनके आवास में सुरक्षा व्यवस्था कर दी गई है। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान बनभूलपुरा निवासी शमीम बानो की अपील भी कोर्ट ने खारिज कर दी। शमीम बानो के अनुसार रेलवे ने पीपी एक्ट में उन्हें रेलवे की भूमि को खाली करने का नोटिस दिया। जिसके खिलाफ उन्होंने जिला न्यायाधीश के समक्ष अपील की। लेकिन जिला न्यायालय से उन्हें रेलवे के नोटिस पर उन्हें स्टे नहीं मिला। हाईकोर्ट से भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली और उनकी याचिका खारिज हो गई।

