कस्तूरी स्पेशल
अजब शौक…एक रुपये किलो टमाटर बेचने का!
यह काम तो युवा ही कर सकता है। लालच को धता वही बता सकता है, इतना हौसला उसी में हो सकता है। यह शौक है, कोई बाजार नहीं। बस फितूर है, लुटाने का, शौक ही समझ लीजिये। यह शौक हफ्ते में एक दफे का है, अजीब शौक है, मगर शौक तो शौक है, जाहिर है उसके लिए खर्च भी करना ही पड़ेगा। खर्च किया और फिर लुटाया। हालांकि शौक के बारे में उन्होंने इतना ही कहा, बस शनिवार को लुटाते है….क्या? टमाटर। दरअसल लालडांठ के पास आज एक अनोखा ठेला लगा था, चटख लाल टमाटरों के पहाड़ के साथ। एक रुपये में एक किलो टमाटर…। देखते ही देखते वहां लोगों की भीड़। एक महिला बड़ा सा थैला लाई, एक किलो से ज्यादा टमाटर लेने को। मैडम एक को एक ही किलो मिलेगा, ज्यादा नहीं….फिर बोला पॉलीथिन भी एक किलो वाली ही रखी है। दोस्त क्या नाम है, एक किलो टमाटर की हांक लगाने के साथ बोला, विश्वजीत पांडे, ऊंचापुल…। क्या करते हो, कुछ नहीं, छह दिन कमाते हैं, फिर शनिवार को लुटाते हैं, अलग-अलग जगह। बस शौक है…। एक बात और, अगर एक रुपया खुली नहीं है तो टमाटर फ्री।

