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गुड न्यूज! नौकरी के साथ कर सकेंगे पार्ट टाइम PhD, जानें क्या हैं नियमों में हुए नए बदलाव

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दिल्ली: देश की सेंट्रल और स्टेट यूनिवर्सिटी में अगस्त महीने से PhD के नए नियम लागू हो जाएंगे। UGC ने पिछले महीने ही पीएचडी एडमिशन के लिए नए रेगुलेशंस को मंजूरी दी है। यूजीसी चेयरमैन प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार ने बताया कि अगले दो हफ्ते के अंदर पीएचडी के नए नियमों को नोटिफाई कर दिया जाएगा और नए नियमों के लागू होते ही कैंडिडेट्स के पास पार्ट टाइम पीएचडी करने का विकल्प भी मौजूद रहेगा।

नए नियमों के साथ ही पार्ट टाइम पीएचडी भी शुरू हो सकेगी। प्रो. कुमार ने कहा कि पार्ट टाइम पीएचडी प्रोग्राम विभिन्न वैज्ञानिक या औद्योगिक संगठनों में काम करने वाले उन प्रोफेशनल्स के लिए बहुत उपयोगी है, जो पीएचडी करने के लिए लंबी छुट्टी नहीं ले सकते। ऐसे कैंडिडेट जब एक बार अपना कोर्स वर्क पूरा कर लेंगे तो वे अपने संगठन या यूनिवर्सिटी की रिसर्च सुविधाओं का उपयोग करके यूनिवर्सिटी सुपरवाइजर की देखरेख में रिसर्च कर सकते हैं। आईआईटी सिस्टम में पार्ट टाइम पीएचडी प्रोग्राम से काफी कैंडिडेट्स को फायदा हुआ है। अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए पीएचडी नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं।

सिर्फ पेपर पब्लिश कराने से बात नहीं बनेगी
यूजीसी चेयरमैन का कहना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में क्वॉलिटी रिसर्च वर्क पर फोकस किया गया है। पहले नियम था कि जर्नल में दो पेपर को पब्लिश करवाना जरूरी होता था और ऐसे में कैंडिडेट किसी भी जर्नल में पेपर पब्लिश करवाने की कोशिश करते थे। अब पीएचडी के लिए किसी भी जर्नल में दो पेपर को पब्लिश करवाने की अनिवार्य शर्त को हटा दिया गया है। अब नियम बनाया गया है कि कैंडिडेट ने कोई पेटेंट करवाया या फिर पीयर-रिव्यू जर्नल (विशेषज्ञों की राय के बाद) में रिसर्च पेपर प्रकाशित हुआ हो या पेपर को कॉन्फ्रेंस-सेमिनार में प्रेजेंट किया गया हो।

यूनिवर्सिटियों से प्रवेश लें या नैशनल टेस्ट से
यूनिवर्सिटी अपने स्तर पर 40 प्रतिशत पीएचडी सीटों के लिए एंट्रेंस टेस्ट आयोजित कर सकती है, जिसकी वेटेज 70 फीसदी होगी और इंटरव्यू की वेटेज 30 प्रतिशत होगी। यूनिवर्सिटी में पीएचडी की बाकी बची 60 फीसदी सीटों पर एडमिशन नैशनल टेस्ट के आधार पर होगा और नैशनल टेस्ट के आधार पर बनी मेरिट लिस्ट में आने वाले छात्रों का इंटरव्यू होगा और इंटरव्यू की वेटेज 100 फीसदी होगी।

पार्ट टाइम के लिए लगेगी कंपनी की NOC
नए नियमों में एक अहम बदलाव पार्ट टाइम पीएचडी की शुरुआत को लेकर है। यूजीसी का कहना है कि पार्ट टाइम कोर्स का नियम लाने से पीएचडी की गुणवत्ता प्रभावित नहीं होगी। नए नियमों में वे सभी शर्तें लाई गई है, जो क्वॉलिटी रिसर्च वर्क के लिए जरूरी होती हैं। फुल टाइम और पार्ट टाइम पीएचडी करने के लिए एलिजिबिलिटी शर्तें एक जैसी ही होंगी। पार्ट टाइम के लिए एक अलग से शर्त यह है कि आवेदक को अपनी ऑर्गनाइजेशन से एनओसी लाना होगा।

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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