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पक्षी प्रेमियों के लिए अच्छी खबर, आगरा− मथुरा में मिलीं दर्जनभर से ज्यादा संकटग्रस्त प्रजातियां

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सूर सरोवर बर्ड सेन्चुरी कीठम और जनपद की सीमा से लगे जोधपुर झाल पर एशियन वाटरबर्ड सेंसस-22 के अंतर्गत जलीय पक्षियों की गणना की गई। वेटलैंड्स इंटरनेशनल के इस गणना कार्यक्रम का आयोजन बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसाइटी, नेशनल चंबल सेन्चुरी प्रोजेक्ट और वन विभाग के सहयोग से हुआ। सूर सरोवर पर जलीय पक्षियों गणना में 4 समूहों के 20 विशेषज्ञ सदस्यों व जोधपुर झाल पर 12 विशेषज्ञ सदस्यीय दो समूहों ने वेटलैंड्स इंटरनेशनल के टी के राॅय व बीआरडीएस के अध्यक्ष डाॅ केपी सिंह के निर्देशन में गणना कार्यक्रम पूर्ण किया। बीआरडीएस के विशेषज्ञ, विश्वविद्यालय के शोधार्थी व सूर सरोवर के वेटलैंड मित्र डाॅ श्रीनू , समी सैयद, नेहा शर्मा, हिमांशी सागर, निधि यादव , पलक, अनुज यादव, पलक, सुधांशु, कमलेन्द्र, शिवेंद्र , सूरज, काजल, सुनीता आदि ने पक्षियो की पहचान व गणना का कार्य संपन्न किया।

सूर सरोवर में जलीय पक्षियों की 60 में से 32 प्रवासी प्रजातियां पाई गई

जलीय पक्षियों की गणना में 60 प्रजातियों की पहचान की गई जिनमें 32 प्रवासी व 28 आवासीय प्रजातियां चिन्हित की गई हैं। सूर सरोवर पर नोर्दन शोवलर व पेलिकन सबसे अधिक हैं। सूर सरोवर पर नोर्दन शोवलर 572,

ग्रेट व्हाइट पेलिकन 424 , काॅमन टील 255, बार हेडेड गूज 154, टैमिनिक स्टिंट 81 और नोर्दन पिनटेल 50 की संख्या में दर्ज किए गए। 

अधिकांश वेटलैंड पर प्रजाती व संख्या में कमी 

वेटलैंड्स इंटरनेशनल के ईकोलोजिस्ट टीके राॅय के अनुसार इस साल कुछ वेटलैंड पर पक्षियों की प्रजातियों व जनसंख्या में कमी पाई जा रही है जैसे कीठम झील पर पिछले साल के मुकाबले इस साल पक्षियों की संख्या घटी है। 

29 संकटग्रस्त प्रजातियों में से 8 सूर सरोवर पर और 6 जोधपुर झाल पर मिली

बीआरडीएस के पक्षी वैज्ञानिक डाॅ केपी सिंह ने बताया कि भारतीय क्षेत्र में प्रवासी पक्षियों का माइग्रेशन मुख्यतः सेंट्रल एशियन फ्लाइ-वे से होता है। सूर सरोवर उन वेटलैंड्स में शामिल हैं जहां प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां सर्वाधिक पाई जाती हैं। फ्लाईवे की 29 विश्व स्तर पर संकटग्रस्त और खतरे के निकट वाली प्रजातियों में से 8 यहां पाई गई हैं। जोधपुर झाल पर इनकी संख्या 6 है। सूर सरोवर पर गणना में 1 वल्नरेविल और 7 नियर थ्रेटेन्डेड प्रजातियों की पहचान की गई जिनमें सारस क्रेन, डालमेशन पेलिकन, रिवर टर्न, पेन्टेड स्टार्क, ब्लैक हेडेड आईबिश, ब्लैक-नेक्ड स्टाॅर्क, रिवर लेपविंग, ओरिएंटल डार्टर शामिल हैं। सूर सरोवर पर लेशर स्पोटिड ईगल और समुद्री पक्षी आस्प्रे भी हुआ है रिकार्ड।

जोधपुर झाल पर मिले 1347 जलीय पक्षी

जलीय पक्षियों की गणना में 51 प्रजातियों की पहचान की गई जिनमें 29 प्रवासी व 22 स्थानीय प्रजातियां चिन्हित की गई हैं । जोधपुर झाल पर संकटग्रस्त पक्षियों की 6 प्रजातियां मिली हैं। जोधपुर झाल पर 1 वल्नरेविल और 5 नियर थ्रेटेन्डेड प्रजातियों की पहचान की गई जिनमें सारस क्रेन, रिवर टर्न, पेन्टेड स्टार्क, ब्लैक हेडेड आईबिश, ब्लैक-नेक्ड स्टाॅर्क, रिवर लेपविंग शामिल हैं।

जोधपुर झाल पर सबसे अधिक संख्या में मिलीं काॅमन टील और बार हेडेड गूज

जोधपुर झाल पर पर काॅमन टील 434, बार हेडेड गूज 192, यलो वेगटेल 55, रफ 42, गेडवाल 34 और नोर्दन शोवलर 25 की संख्या के अतिरिक्त पाइड एवोसेट, स्पून-बिल, नोर्दन पिनटेल, पेन्टेड स्टार्क, रूडी शेल्डक व ब्लैक टेल्ड गोडविट भी रिकार्ड किए गए। 

दूरबीन, टेलीस्कोप और केमरा के माध्यम से होती है गणना

बीआरडीएस के पक्षी विशेषज्ञ डॉ केपी सिंह के अनुसार पक्षियों की गणना निर्धारित वैज्ञानिक प्रणाली से की जाती है। गणना के दौरान पहचान के लिए दूरबीन, टेलीस्कोप और उच्च क्षमता के लैंस युक्त केमरों का उपयोग किया जाता है। पक्षियों से दूरी बनाकर ही गणना की जाती है जिसमें विभिन्न उपकरणो का प्रयोग किया जाता है। 

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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