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पंचतत्व में हुए विलीन हुए बिहार की राजनीति में चार दशक तक प्रभावशाली रहे पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह

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जमुई. बिहार के राजनीतिक गलियारे में बीते चार दशक से सक्रिय रहने वाले पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के पार्थिव शरीर की अंत्येष्टि राजकीय सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव जमुई जिले के खैरा प्रखंड के पकरी गांव से सट कर गुजरने वाली किउल नदी के घाट पर हुआ. नरेंद्र सिंह के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि उनके बड़े बेटे पूर्व विधायक अजय प्रताप ने दी. अंत्येष्टि के दौरान बिहार की राजनीति से जुड़े कई दिग्गज के साथ हजारों की संख्या में नरेंद्र सिंह के चाहने वाले मौजूद थे. अंत्येष्टि कार्यक्रम के दौरान बिहार पुलिस के जवानों ने राइफल से फायरिंग कर पूर्व मंत्री को सलामी भी दी.

तय कार्यक्रम के अनुसार मंगलवार के दिन 10 बजे पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह की शवयात्रा निकाली गई, जहां लोग पार्थिव शरीर को कंधे पर लेकर उनके पैतृक आवास से अंत्येष्टि वाले स्थल तक लगभग 2 किलोमीटर तक पहुंचे. यात्रा के दौरान नरेंद्र सिंह अमर रहे जैसे कई नारे गूंजते रहे. हजारों की संख्या में पूर्व मंत्री के समर्थक शव यात्रा में शामिल हुए. फिर किउल नदी के पकरी घाट पर बने समाधि स्थल पर अंत्येष्टि कार्यक्रम की शुरुआत हुई जहां बड़े बेटे अजय प्रताप ने मुखाग्नि दी. मुखाग्नि के समय नरेंद्र सिंह के छोटे बेटे और बिहार सरकार के साइंस एंड टेक्नोलॉजी मंत्री सुमित कुमार सिंह और उनके परिवार के लोग मौजूद रहे.

इस दौरान अंत्येष्टि कार्यक्रम को लेकर बड़ी संख्या में पुलिस बल की भी तैनाती की गई थी. जिले के डीएम और एसपी भी अपने अधिकारियों के साथ कार्यक्रम में शामिल हुए जहां लोगों ने नरेंद्र सिंह का अंतिम दर्शन करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी. अंत्येष्टि कार्यक्रम में झाझा के विधायक दामोदर रावत, भाजपा नेता आरके सिन्हा, तारापुर विधायक राजीव कुमार, विधान पार्षद अजय सिंह के साथ कई अन्य विधायक और पूर्व मंत्री मौजूद रहे.

इससे पहले सोमवार की रात पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह का पार्थिव शरीर पटना से जमुई पहुंचा था जहां सैकड़ों की संख्या में रात में ही समर्थक और लोग उनके आवास पर पहुंचकर श्रद्धांजलि दी थी. केंद्र सरकार के मंत्री अश्विनी चौबे, बिहार के मंत्री जमा खान, जयंत राज और जमुई की विधायक श्रेयसी सिंह भी पहुंची और पूर्व मंत्री को श्रद्धांजलि दी थी. नरेंद्र सिंह को श्रद्धांजलि देने आए जिले के कई लोगों ने इस बात को स्वीकारा की उनके निधन से सामाजिक और व्यक्तिगत क्षति हुई है जो अपूरणीय है. अब नरेंद्र सिंह को लोग देख तो नहीं सकेंगे लेकिन इस समाजवादी नेता की चर्चाएं होती रहेगी. बताते चलें कि बिहार सरकार में कई बार मंत्री रहे नरेंद्र सिंह का निधन कई दिनों से बीमार होने के बाद सोमवार को पटना के एक अस्पताल में हो गया था.

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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