उत्तराखण्ड
भीषण अग्निकांड: धुएं के गुबार में एक-एक कर गायब होने लगे वन कर्मी और चार जिंदगियां राख
बिनसर के जंगल में फॉरेस्टर और उनके साथ गई टीम के आग में फंसने की सूचना पर जब अधिकारी मौके पर पहुंचे तो सहम गए। वाहन जल चुका था और अगल-बगल चार साथियों के शव पड़े थे। वहीं कुछ दूरी पर आग की चपेट में आए चार अन्य साथी खुद को आग से बचने की असफल कोशिश करते हुए नजर आए। मौके पर पहुंचे अधिकारियों और कर्मचारियों ने आनन-फानन चारों कर्मचारियों को आग के घेरे से बचाया और फौरन अस्पताल भेजा। मौके पर पहुंची एनडीआरएफ के जवानों के साथ वन विभाग के अधिकारियों ने मृतक साथियों के शव पोस्टमार्टम हाउस भिजवाए।
अस्पताल ले जाते समय आग से झुलस चुके एक एक कर्मचारी ने टूटती सांसों को संभालते हुए जंगल में मचे इस मौत के तांडव के बारे में बताया तो उसकी आपबीती सुनकर वन कर्मियों के रोंगटे खड़े हो गए। झुलसा वन कर्मी कभी अपने साथियों की कुशलक्षेम पूछता तो कभी अपने परिजनों को पास बुलाने की गुहार लगाता। उसकी ऐसी हालत देख वन कर्मियों की आंखें भर आई और उसे सब कुछ ठीक होने की सांत्वना देते देते अस्पताल तक लेकर पहुंचे।
बृहस्पतिवार को बिनसर अभयारण्य में हुई वनाग्नि की घटना में चार लोगों की जिंदा जलकर मौत हो गई जबकि चार गंभीर रूप से झुलस गए। घायल वन कर्मियों को जब अन्य वन कर्मी उपचार के लिए अल्मोड़ा लेकर आ रहे थे तो झुलसे एक वन कर्मी ने बड़ी हिम्मत कर आपबीती बयान की। उसने बताया कि आग लगने की सूचना पर वह और सात अन्य साथियों के साथ विभाग के वाहन से मौके पर पहुंचे। वाहन से उतरने के बाद उन्होंने देखा की सड़क के नीचे ढलान से आग ऊपर की ओर आ रही थी। उस समय आठ वन कर्मियों में से कुछ आग बुझाने की रणनीति बना रहे थे और कुछ वाहन से अपना सामान बाहर निकाल रहे थे। तभी आग की लपटों ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया। बचने की कोई उम्मीद बाकी नहीं रही। सभी कर्मचारी लपटों से बचने का प्रयास करते रहे लेकिन आग इतनी भयानक थी कि सड़क पर खड़ा वाहन तक उसकी चपेट में आ गया। एक-एककर सब धुएं के गुबार में गायब होने लगे और उसकी आंखों के सामने भी अंधेरा छा गया। इसके बाद क्या हुआ उसे कुछ पता नहीं।
एंबुलेंस में जब उसे होश आया तो लड़खड़ाती आवाज में कभी अपने साथियों की कुशलक्षेम पूछता तो कभी अपने परिजनों को पास बुलाने की गुहार लगाता। बीच-बीच में उसके जख्मों का दर्द असहनीय हो जाता तो वह चीखने लगता। मौके से अस्पताल तक पहुंचने तक का करीब एक घंटे का सफर वाहन में सवार अन्य वन्य कर्मियों के लिए बेहद मुश्किल भर था। वन कर्मी चारों घायलों के सकुशल अस्पताल पहुंचने की भगवान से प्रार्थना करते रहे। हालांकि चारों घायलों को बेस अस्पताल तक तो पहुंचा दिया गया लेकिन दो की हालत गंभीर होने के कारण चिकित्सकों ने उन्हें हल्द्वानी रेफर कर दिया। सभी लोग बस यही दुआ कर रहे थे कि साथियों की जान बच जाए।देर रात चारों घायल एंबुलेंस से पहुंचे एसटीएचअल्मोड़ा में जंगल की आग में जले चार घायल देर रात एंबुलेंस से सुशीला तिवारी अस्पताल लाए गए। डॉक्टरों के अनुसार एक घायल की हालत गंभीर है, वह 82 प्रतिशत से अधिक जला हुआ है। उधर तीन घायल 40 प्रतिशत से अधिक जले हैं। अल्मोड़ा से वनाग्नि में जले वन कर्मी और पीआरडी जवानों के हल्द्वानी आने की सूचना पर जिला प्रशासन अलर्ट था। सबसे पहले घायल को रात 10 बजे, इसके बाद अलग-अलग एंबुलेंस में आधा घंटा बाद दो और आग से जले घायल को लाया गया। उधर रात 11:15 बजे चौथे घायल को लाया गया। कोई भी घायल बोलने की स्थिति में नहीं था।
सिटी मजिस्ट्रेट एपी वाजपेई ने प्राचार्य डॉ. अरुण जोशी के हवाले से बताया कि कृष्ण कुमार 44 वर्ष फायर वाचर निवासी भेटुली अल्मोड़ा 82 प्रतिशत जले हैं। इनकी स्थिति चिंंताजनक बनी हुई है। उधर कैलाश भट्ट उम्र (45) दैनिक श्रमिक निवासी घनेली अल्मोड़ा 42% प्रतिशत, कुंदन सिंह (42) पीआरडी जवान निवासी खाखरी 40% जबकि भगवत सिंह (36) चालक निवासी भेटुली आयरपानी 50% प्रतिशत जले हैं। इस दौरान अल्मोड़ा के विधायक मनोज तिवारी भी सुशीला तिवारी पहुंचे। उन्होंने आग से जले चारों लोगों को देखा और सुशीला तिवारी अस्पताल के प्राचार्य से बात की। ब्यूरो मृतकों के परिजनों में मच गया कोहरामबिनसर में हुई वनाग्नि की घटना में मारे गए कर्मियों के बारे में जब उनके परिजनों को जानकारी मिली तो उनमें कोहराम मच गया। बृहस्पतिवार की सुबह वह रोज की तरह अपनी ड्यूटी के लिए घर से निकले थे। ग्रामीण मृतकों के परिजनों को जैसे तैसे संभाल रहे हैं। जबकि गंभीर रूप से झुलसे कर्मियों के परिजन उन्हें देखने के लिए अल्मोड़ा पहुंच गए हैं।