कस्तूरी स्पेशल
गजराज के लिए दिल्ली से किसका संदेश लेकर आए थे त्रिवेंद्र…
मनोज लोहनी
हल्द्वानी। भारतीय जनता पार्टी के टिकट बंटने के बाद उत्तराखंड में तमाम जगह हाय तौबा मची और तमाम भाजपा के संभाविद प्रत्याशी निर्दलीय चुनाव लडऩे को तैयार हो गए थे, जिसके लिए उन्होंने नामांकन भी करा लिया था। ऐसी ही एक सीट नैनीताल जिले की कालाढूंगी विधासनभा रही जहां भाजपा का टिकट कटने से नाराज भाजयुमो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और त्रिवेंद्र सरकार में उत्तराखंड मंडी परिषद अध्यक्ष गजराज सिंह बिष्ट ने निर्दलीय चुनाव लडऩे का ऐलान कर दिया था। उनके नामांकन कराने के बाद भाजपा में खलबली मची और गजराज का मनाने का भी दौर शुरू हुआ। नामांकन के बाद गजराज के पास प्रदेश स्तर के तमाम बड़ नेताओं के फोन आए, मगर गजराज ने चुनाव से पीछे हटने से इनकार कर दिया था। अब चूंकि इस सीट पर लगातार दो बार के विधायक और वर्तमान में कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी लिहाजा संगठन के लिए यह बात चिंता का सबब बनी। टिकट कटने से आहत गजराज सिंह ने मीराज बैंक्वेट हाल में महापंचायत कर अपनी ताकत भी दिखाई थी जहां भाजपा के ही तमाम संगठन के नेता भी मौजूद थे। मगर उसी दिन शाम को भीमताल में भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत का हेलीकाप्टर उतरा। उतरना उसे हल्द्वानी ही था, मगर मौसम में गड़बड़ी के चलते हेलीकाप्टर भीमताल उतरा। इस हेलीकाप्टर से उतरे पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जो सीधे भीमताल से हल्द्वानी गजराज सिंह बिष्ट के आवास के लिए रवाना हो गए। देर शाम को त्रिवेंद्र सिंह रावत यहां पहुंचे और उनकी गजराज के साथ काफी देर तक बातचीत हुई। और आखिरकाल गजराज ने चुनाव लडऩे से इनकार करते हुए अगले दिन यानी १ फरवरी को नाम वापसी के लिए हामी भर दी। सभी को यह लगा कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के सीएम रहते गजराज सिंह मंडी परिषद के अध्यक्ष बने और उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला तो त्रिवेंद्र उन्हें मना ही लेंगे। मगर ऐसा नहीं था। सूत्रों के मुताबिक गजराज का मुद्दा जब दिल्ली तक पहुंचा तो खुद गृह मंत्री अमित साह का फोन देहरादून पहुंचा। कहा गया कि ऐसे वरिष्ठ व्यक्ति से गजराज तक हमारा संदेश पहुंंचाया जाए जो गजराज के करीबी हों। तब यह तय हुआ कि यह काम त्रिवेंद्र सिंह रावत को सौंपा जाए क्योंकि त्रिवेंद्र गजराज के करीबी माने जाते हैं। और यही हुआ भी। त्रिवेंद्र यहां पहुंचे और उनकी जो भी मंत्रणा हुई, उसका नतीजा यह निकला कि आज गजराज चुनाव मैदान में नहीं हैं। इस मुद्दे पर गजराज ने यह तो नहीं कहा कि संदेश किसका था, मगर इतना जरूर कहा कि संगठन हित में उन्होंने यह कदम उठाया है। आगे पार्टी जो जिम्मेदारी देगी उसका वह निर्वहन जरूर करेंगे। उन्होंने कहा कि चुनाव लडऩे का उन्होंने मन जरूर बनाया था, मगर कुछ परिस्थितियां ऐसी होती हैं कि संगठन हित के आगे आपको सब कुछ न्यौछावर करना पड़ता है, जो कि उन्होंने आज तक किया है, और आगे भी करेंगे।

