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विमर्श: डिजिटल पत्रकारिता और डिजिटल माध्यम का पत्रकार एक दूसरे से अलग कैसे…
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मनोज लोहनी, हल्द्वानी। इससे पूर्व वाली खबर में जब मैंने सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी से मुलाकात के बाद डिजिटल पोर्टल और डिजिटल पत्रकारिता के बारे में चर्चा शुरू की तो तमाम पत्रकारों से बात हुई और फोन आए। दरअसल डिजिटल पोर्टल की पत्रकारिता और यहां पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों के बारे में अभी तक कोई ऐसा विमर्श निकलकर सामने नहीं आया है जिससे कि ऐसे किसी नतीजे पर पहुंचा जा सके कि आखिर मुख्य धारा की पत्रकारिता से डिजिटल पोर्टल और समाचार पोर्टल चलाने वाले पत्रकार अलग कैसे हैं। यह विषय केवल उत्तराखंड का नहीं बल्कि देशभर की पत्रकारिता से जुड़े लोगों का है। अब अन्य राज्यों में डिजिटल पोर्टल और समाचार पोर्टल चलने वाले पत्रकारों को वहां की सरकार है किस श्रेणी में रखती है यह वहां का विषय है, मगर उत्तराखंड की स्थिति में यह साफ है कि यहां फेसबुक इंस्टाग्राम डिजिटल पोर्टल समाचार पोर्टल चलने वाले सारे लोग पत्रकारिता नहीं बल्कि मीडिया इनफ्लुएंसर की भूमिका में सामने है न कि एक पत्रकार के। डिजिटल पोर्टल को उत्तराखंड में किस रूप में लिया जा रहा है वहां पूर्व के समाचार में दिया गया यह संदर्भ देखें…..
अब बात डिजिटल पोर्टल की। डिजिटल पोर्टल का सीधा सा मतलब है इंस्टाग्राम फेसबुक या किसी भी अन्य माध्यम से सूचनाओं को जनता के बीच पहुंचाने से, यही काम इस वक्त समाचार पोर्टल भी कर रहे हैं। उत्तराखंड सरकार सोशल मीडिया रेगुलेशन एक्ट के तहत कार्य कर रही है, मगर एक बात साफ है कि डिजिटल पोर्टल चलाने वाले लोग पत्रकारों की श्रेणी में नहीं आते बल्कि यह ठीक वैसे ही है जैसे कि कोई आम आदमी फेसबुक लाइव के माध्यम से सूचनाओं को जनता तक पहुंचा रहा हो और अगर उसकी व्यूवरशिप अच्छी है तो वह भी सूचनाओं के लिए एक पत्रकार जैसा ही माध्यम है। मगर, यहां पर एक बात साफ है कि कोई भी आम आदमी जो सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर है वह पत्रकार नहीं हो सकता और न ही कोई ऐसा पत्रकार जिसने पहले पत्रकारिता की हो और अब वह डिजिटल पोर्टल चला रहा है, वह भी सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर की ही भूमिका में होगा न कि पत्रकार की। यानी कि न्यूज़ चैनल और समाचार पत्रों के इतर किसी भी माध्यम से मीडिया से जुड़ा हुआ कोई भी व्यक्ति पत्रकार और पत्रकारिता की श्रेणी में नहीं आता है, जैसा कि सूचना महानिदेशक से बातचीत में आज स्पष्ट हुआ। प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और डिजिटल मीडिया तीनों ही काम तो मास कम्युनिकेशन का ही करते हैं, मगर डिजिटल मीडिया को पत्रकारिता की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। यह नतीजा मैंने आज सूचना विभाग से मिले इनपुट के आधार पर निकाला है और इसमें डिजिटल पोर्टल चलाने वाले अलग-अलग व्यक्तियों की अलग-अलग राय भी हो सकती है। मगर सोशल मीडिया एवं डिजिटल पोर्टल के बीच, मैं जो थोड़ा बहुत फर्क समझता था वह फर्क बिल्कुल भी नहीं है और डिजिटल मीडिया में डिजिटल पोर्टल भी एक ही श्रेणी में आता है। एक ही श्रेणी से अर्थ है कि पत्रकारिता के विषय से डिजिटल मीडिया अलग है। अगर इस विषय में आपकी कोई राय हो तो आप कमेंट अवश्य करें….
अब अगर मैं स्वयं का उदाहरण बतौर पत्रकार सामने रखता हूं तो वर्ष 1998 के बाद, दैनिक समाचार पत्र अमर उजाला दैनिक जागरण और दैनिक हिंदुस्तान में लंबे समय तक सेवाएं दी। बरेली से प्रकाशित दैनिक अमृत विचार भी बतौर स्थानीय संपादक हल्द्वानी में लॉन्च किया। 1999 से 2022 तक मुख्य धारा की पत्रकारिता में ही काम करने का अवसर मिला, जो कि शायद पत्रकार कहलाने के लिए पर्याप्त होगा।
दैनिक अखबार की सेवाओं के बाद जब यह मालूम चला कि उत्तराखंड में समाचारों का माध्यम डिजिटल पोर्टल भी है… जहां की दृश्यता से नहीं बल्कि स्वयं के लिखे समाचारों को एक माध्यम से जनता के सामने रखना पड़ता है और वह माध्यम है इंटरनेट। यानी कि किसी भी लिखे हुए समाचार को प्रकाशित करने का यहां तरीका यह है कि उसे डिजिटल पोर्टल में पब्लिश किया जाए और उसके बाद उसे जनता के समक्ष रखा जाए। यहां प्रिंट मीडिया से केवल इतना ही फर्क है कि प्रिंट में अखबार छापकर लोगों के हाथों तक पहुंच रहा है और डिजिटल माध्यम से समाचार पोर्टल में लिखित समाचार पब्लिश होने के बाद लोगों के हाथों तक पहुंच रहा होता है।
अब यहां डिजिटल शब्द की जैसे ही उत्पत्ति होती है तो उसका सीधा सा मतलब हो जाता है सोशल मीडिया से। सोशल मीडिया की फिर बात होते ही वह माध्यम फिर इंस्टाग्राम हो फेसबुक हो, युट्यूब या फिर इंटरनेट के माध्यम से प्रसारित अन्य माध्यम। डिजिटल शब्द भी सोशल मीडिया का ही एक रूप माना गया है और डिजिटल के सोशल मीडिया में समाहित होते ही उससे पत्रकार शब्द स्वयं बाहर हो जा रहा है। जैसे कि अगर कोई आम आदमी फेसबुक लाइव के माध्यम से किसी सूचना को जनता तक पहुंचा रहा है तो वह सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर है और वह पत्रकार की श्रेणी में नहीं है। मगर समाचार लिखकर डिजिटल पोर्टल में प्रकाशित करने और फेसबुक लाइव या अन्य माध्यमों से जनता तक किसी बात को पहुंचाने के बीच क्या कोई फर्क नहीं है। वह भी ऐसे दौर में जब की तमाम पुराने और वरिष्ठ पत्रकार अब प्रिंटेड और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से इतर डिजिटल पोर्टल चला पत्रकारिता कर रहे हैं। यह विषय स्वयं में ऐसा है जिस पर विमर्श की महती आवश्यकता है। समाप्त
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