Connect with us

कस्तूरी स्पेशल

मनुष्य ने सबसे पहले प्रौद्योगिकी का वरण किया या विज्ञान का, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर विशेष

खबर शेयर करें -

डॉ. अरविन्द मिश्र

आज राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस है। 1998 में पोखरन में हुये नाभिकीय विस्फोट से ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की दबंगता की वैश्विक पहचान से आरंभ हुये इस उत्सव को हम निरंतर मनाते रहे हैं। अक्सर विज्ञान और प्रौद्योगिकी के स्पष्ट विभेद को ठीक से समझा नहीं जाता। हलांकि एक ही सिक्के के ये दो पहलू हैं। एक को हम वैचारिक प्रक्रिया मान लें तो दूसरा उसी का व्यावहारिक पहलू है। मगर यह विवाद कि कौन पहले वजूद में आया – विज्ञान या प्रौद्योगिकी, एक उसी तरह का उलझा हुआ सवाल है कि पहले मुर्गी आई या अंडा?

यह सचमुच एक अकादमिक बहस का हिस्सा है कि मनुष्य ने सबसे पहले प्रौद्योगिकी का वरण किया या विज्ञान का? या हम इसे यूं भी क्यों नहीं कह सकते हैं कि मनुष्य को पहले विज्ञान ने अंगीकृत किया या प्रौद्योगिकी ने। मेरा विनम मत तो प्रौद्योगिकी के पक्ष में है, होमो सैपियेन्स के धरावतरण के पहले ही नियेन्डर्थल मानवों की जीवन की जिजीविषा ने उन्हें औजार बनाना सिखा दिया था। मानते हैं कि मनुष्य के विकास पहिया तेजी से तभी घूमा जब उसने आग और पहियेनुमा संरचना का आविष्कार कर लिया था।

विज्ञान पहले या प्रौद्योगिकी के सवाल के दोनों पक्षों के समर्थन में पर्याप्त उदाहरण हैं। पारंपरिक शिल्पकारों – बढ़ई, लोहार, सुनार, राजगीर आदि के पीढ़ी दर पीढ़ी शिल्पगत ज्ञान हस्तान्तरित होते आये हैं। किंतु बिना पर्याप्त और त्रुटिहीन ज्यामितीय ज्ञान के विशाल मंदिरों के गर्भगृह और वाह्य संरचना कैसे रुपाकार होती? अभी अयोध्या के निर्मित भव्य राम मंदिर में विज्ञान के कितने ही विभागों का ज्ञान प्रयुक्त हुआ है।

और आज तो प्रौद्योगिकी की गति इतनी तीव्र है कि वह मनुष्य के लिये अनेक भयावह आशंकायें उत्पन्न कर रही है। आज कृत्रिम बुद्धि की दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती प्रगति से आशंका यह है कि मशीने हमारी आज्ञाकारी शिष्य न बनी रहकर कहीं हमारी स्वामी ही न बन जायें। दुनिया के तमाम वैज्ञानिक कृत्रिम बुद्धि की मानव जिंदगी में बढ़ती पैठ से आशंकित हैं और आगाह कर रहे हैं। डीप फेक और साफ्ट फेक जैसी प्रौद्योगिकी ने मानव की निजी जिंदगी में खौफनाक दखल देना शुरु किया है। मगर यह फितरती मनुष्य के दिमाग की देन है न कि आविष्कृत प्रौद्योगिकी की।

आईये हम प्रौद्योगिकी की बढ़ती दखल पर दुनिया के महान विचारकों की टिप्पणियां/उद्धरण देखें और उनके मर्म को समझकर लाभान्वित हों –

एक मशीन पचास साधारण लोगों का काम कर सकती है। कोई भी मशीन एक असाधारण व्यक्ति का काम नहीं कर सकती-एलबर्ट हबर्ड

*किसी भी पर्याप्त रूप से उन्नत प्रौद्योगिकी और जादू में विभेद संभव नहीं है – आर्थर सी. क्लार्क

*तकनीकी प्रगति ने हमें पीछे की ओर जाने के लिए अधिक कुशल साधन प्रदान किए हैं-एल्डस हक्सले

*असली समस्या यह नहीं है कि मशीनें सोचती हैं या नहीं, बल्कि यह है कि मनुष्य सोचते हैं या नहीं-बी. एफ. स्किनर

*प्रौद्योगिकी ईश्वर का उपहार है। जीवन के उपहार के बाद यह शायद ईश्वर के उपहारों में सबसे बड़ा है। यह सभ्यताओं, कलाओं और विज्ञानों की जननी है-फ्रीमैन डायसन

*प्रौद्योगिकी हमें शक्ति देती है, लेकिन यह हमें यह नहीं बताती और न ही बता सकती कि उस शक्ति का उपयोग कैसे करें। तकनीक की बदौलत हम दुनिया भर में तुरंत संवाद कर सकते हैं, लेकिन यह हमें यह जानने में मदद नहीं करती कि कहना क्या है – जोनाथन सैक्स

*अगर हम बिना बुद्धि या विवेक के अपनी तकनीक विकसित करना जारी रखते हैं, तो हमारा नौकर हमारा जल्लाद साबित हो सकता है-ओमर एन. ब्रैडली

*हमारी तकनीकी शक्तियाँ बढ़ती हैं, लेकिन दुष्प्रभाव और संभावित खतरे भी बढ़ते हैं-एल्विन टॉफ़लर

इन महान विचारकों के उपरोक्त कथ्यों ने निसंदेह आपके मन में भी प्रौद्योगिकी और मानव के रिश्ते को लेकर कुछ नवीन विचार उपजाये होंगे। आप उन्हें टिप्पणियों में अंकित कर सकते हैं।

राष्ट्रीयप्रौद्योगिकीदिवस2024

Continue Reading

संपादक - कस्तूरी न्यूज़

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More in कस्तूरी स्पेशल

Advertisiment

Recent Posts

Facebook

Trending Posts

You cannot copy content of this page