क्राइम
कोर्ट का आदेश: कुत्ते से डराने वाले बेटे को छोड़ना होगा पिता का घर
नई दिल्ली। बुजुर्ग मां-बाप से दुर्व्यवहार के कई किस्से आपने सुने होंगे, लेकिन दिल्ली की साकेत अदालत में आए एक मामले ने सबको हैरान कर दिया। बेटा उसी मां पर कुत्ता छोड़ रहा है जिसने कोरोना काल में नौकरी छूटने पर उसे पनाह दी। अदालत ने कड़े तेवर अपनाते हुए बेटे को एक हफ्ते में कुत्ते समेत घर से निकलने के आदेश दिए हैं।
साकेत स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरुल वर्मा की अदालत में 72 वर्षीय बुजुर्ग महिला ने घरेलू हिंसा रोकथाम अधिनियम के तहत याचिका दायर की। अपनी इस याचिका में बुजुर्ग महिला ने बुढ़ापे की उस पीड़ा को उकेरा जिसे सुन अदालत भी सकते में आ गई। बेटा बुजुर्ग मां व पिता को डराने व उन्हें कटवाने के लिए घर में कुत्ता ले आया। इतना ही नहीं वह कुत्ते को बुजुर्ग पर हमला करने के लिए उकसाता है।
घरेलू हिंसा के तहत याचिका दायर करने वाली बुजुर्ग महिला ने अदालत में हाजिर होकर बताया कि यह मकान उनके खुद की कमाई से खरीदा गया है। उन्हें बेटे व उसके परिवार से बेहद लगाव है इसलिए कोरोना काल में बेटे-बहू की नौकरी जाने के बाद उन्होंने उन्हें अपने घर में रहने की जगह दे दी। लेकिन इसके बाद तो बेटे के तेवर बदल गए। बेटा चिढ़ाने के अलग-अलग तरीके ढूंढने लगा। यहां तक कि घर में बगैर बुजुर्ग दंपति की मर्जी के कुत्ता ले आया। बुजुर्ग का कहना था कि उन्हें सांस लेने में तकलीफ है, इसका फायदा बेटा उठाने लगा। कुत्ते को हमला करने के लिए उकसाता। बुजुर्ग दंपति में भय इस कदर बैठ गया कि वह कमरे से निकलने में डरने लगे। कमरे से बाहर आना जान-जोखिम में डालने के बराबर लगता।
अदालत ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि बुजुर्ग दंपति ने पूरी उम्र मेहनत कर घर बनाने व बसाने में गुजार दी। अब जब जीवन के अंतिम पड़ाव पर उन्हें शांति की जरूरत है तो औलाद घोर पीड़ा का कारण बन रही है। यह बेहद दुखद है कि पोते-पोतियों के साथ बचपन लौटने की उम्र में बुजुर्ग को कुछ पल के सुकून के लिए कानून की शरण में आना पड़ रहा है। यह अकेला मामला नहीं है।

