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साल 2022 में लंपी रोग के चलते 921 पशुओं ने अपनी जान गंवाई थी। अब प्रदेश में स्थिति एक बार फिर गंभीर होने लगी है।

उत्तराखण्ड

उत्तराखंड में पशुओं के लिए काल बना लंपी वायरस, 4 दिन में 3000 पशु संक्रमित, 32 मौत

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देहरादून: हमारी अगली खबर मवेशियों की सुरक्षा से जुड़ी है। उत्तराखंड में लंपी रोग एक बार फिर पशुओं के लिए काल बनता जा रहा है। साल 2022 में लंपी रोग के चलते 921 पशुओं ने अपनी जान गंवाई थी। देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, नैनीताल में 36 हजार से अधिक पशु रोगग्रसित पाए गए। अब स्थिति एक बार फिर गंभीर होने लगी है। चार दिन के भीतर पर्वतीय जिलों में तीन हजार से अधिक पशु रोग की चपेट में आ गए हैं।

चार जिलों में इससे 32 पशुओं की मौत भी हो चुकी है। मामले की गंभीरता देखते हुए शासन ने पशुपालन विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों की छुट्टियों व प्रतिनियुक्ति पर अग्रिम आदेश तक रोक लगा दी है। साथ ही प्रदेश के अंदर एक जिले से दूसरे जिले और बाहरी राज्यों से पशुओं के परिवहन पर भी एक माह तक रोक रहेगी। बुधवार को विधानसभा के सभाकक्ष में हुई प्रेस कांफ्रेंस में पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने प्रदेश में लंपी रोग की स्थिति को लेकर जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि कुमाऊं मंडल के कई जिलों में लंपी रोग फैल रहा है। प्रदेश में रोग से ठीक होने की दर 53.3 प्रतिशत और मृत्यु दर 1.02 प्रतिशत है। अल्मोड़ा, बागेश्वर, चमोली, चंपावत, पिथौरागढ़, नैनीताल, रुद्रप्रयाग जिलों में 3131 पशु रोग की चपेट में आए हैं। इनमें 1669 रोगग्रसित पशु ठीक भी हुए हैं। रोग की रोकथाम में सहायता के लिए पशुपालन विभाग ने दो टोल फ्री नंबर 1962 और 18001208862 जारी किए हैं।

इसके लिए निदेशालय में कंट्रोल रूम स्थापित किया गया। लंपी रोग मच्छर-मक्खी के जरिए एक से दूसरे में फैलता है। इसलिए सभी पशुपालकों से गोशाला की साफ-सफाई पर ध्यान देने की अपील की गई है। रोग से बचाव के लिए पशुओं का टीकाकरण किया जा रहा है। नौ मई तक प्रदेश में 7.43 लाख पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है।

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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