Connect with us

others

सीएम धामी का जलवा: उत्तराखंड के समान नागरिक संहिता कानून की देश के गृहमंत्री अमित शाह के मुखारबिंद से राज्यसभा में गूंज, कहा- धामी सरकार यूसीसी को मॉडल के रूप में सामने लाई

खबर शेयर करें -

मनोज लोहनी, हल्द्वानी। संसद में दो दिनों से चले आ रहे संविधान की 75 भी वर्षगांठ के अवसर पर चल रही चर्चा का आज समापन हुआ। दो दिनों के लिए संसद में इस मौके पर पक्ष और विपक्ष के बीच में चर्चा हुई थी। लोकसभा में इस विषय पर चर्चा का जवाब सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया। वहीं मंगलवार को चर्चा का समापन करते हुए राज्यसभा में देश के गृहमंत्री अमित शाह की गर्जना हुई।

देश के गृहमंत्री ने अपने चिर परिचित अंदाज में संविधान पर चर्चा के दौरान कांग्रेस को आड़े हाथों लिया। उन्होंने देश की आजादी के बाद संविधान लागू होने के बाद से अब तक के संविधान संशोधनों के बारे में बताते हुए कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने जब भी संविधान में संशोधन किया उसका एकमात्र उद्देश्य खुद का या अपनी पार्टी का भला करना ही रहा था। जबकि भारतीय जनता पार्टी की सरकार में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संविधान की 101 से लेकर के 106 तक संशोधनों में केवल और केवल देश और देश के नागरिकों के भले के विषय में बात हुई है। धर्म के आधार पर आरक्षण दिए जाने की मांग को उन्होंने एक बार फिर साफ ना करते हुए कहा कि संविधान इसकी बिल्कुल इजाजत नहीं देता और इसी बहाने फिर जिक्र आया समान नागरिक संहिता का।

यूसीसी के बहाने देश के गृहमंत्री अमित शाह ने उत्तराखंड का नाम लेते हुए इसे गौरव का विषय बताया। गृहमंत्री ने प्रदेश के धामी सरकार की इस विषय पर उपलब्धि का जिक्र करते हुए कहा कि उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता को एक मॉडल के रूप में सामने रखा है। उत्तराखंड सरकार की इस उपलब्धि पर गर्व जताते हुए देश के गृहमंत्री ने कहा कि यह मॉडल अब एक बड़ा कानून का रूप जल्द लगा।

देश के गृहमंत्री का राज्यसभा में समान नागरिक संहिता को लेकर उत्तराखंड का जिक्र निश्चित ही इस बात को साबित करता है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस कानून को यहां लाकर एक नई मिसाल पेश की है।

बता दें कि उत्तराखंड विधानसभा ने 7 फ़रवरी, 2024 को यूसीसी विधेयक पारित किया था. यह विधेयक उत्तराखंड के सभी निवासियों (अनुसूचित जनजातियों को छोड़कर) पर लागू होगा. इस विधेयक के तहत, विवाह, तलाक, संपत्ति की विरासत, और लिव-इन रिलेशनशिप पर एक समान नियम लागू होंगे. इस विधेयक के तहत, तलाक के मामले में पुरुषों और महिलाओं को समान अधिकार दिए गए हैं. इस विधेयक के तहत, विवाह के समय किसी भी पक्ष का जीवनसाथी जीवित न हो, तभी वह विवाह मान्य होगा. इस विधेयक के तहत, लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा. इस विधेयक के तहत, सभी वर्गों के बेटों और बेटियों के लिए समान संपत्ति अधिकार दिए गए हैं. इस विधेयक के तहत, मुस्लिम पर्सनल लॉ की प्रथाओं जैसे निकाह हलाला, इद्दत, और तीन तलाक को अपराध घोषित किया गया है.

Continue Reading

संपादक - कस्तूरी न्यूज़

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More in others

Advertisiment

Recent Posts

Facebook

Trending Posts

You cannot copy content of this page