अंतरराष्ट्रीय
चीन ने संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर के भाई को बचाया! भारतीय विमान हाईजैक के आतंकी के खिलाफ प्रतिबंधों में लगाया अड़ंगा
वॉशिंगटन : अमेरिका और भारत की ओर से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के एक कुख्यात आतंकवादी के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव में चीन ने बुधवार को अड़ंगा लगा दिया। राजनयिकों ने इसकी जानकारी दी है। भारत और अमेरिका चाहते थे कि आतंकवादी अब्दुल रऊफ अजहर पर वैश्विक प्रतिबंध लगाए जाएं और उसकी संपत्ति को फ्रीज कर दिया जाए। इस तरह के प्रस्ताव पर सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति के सभी 15 सदस्यों की सहमति होनी चाहिए। लेकिन चीन ने अड़ंगा लगाकर पाकिस्तान को आतंकवादी को बचा लिया।
रॉयटर्स से बात करते हुए चीनी मिशन के प्रवक्ता ने बताया, ‘हमने प्रस्ताव को इसलिए रोक दिया क्योंकि हमें केस को स्टडी करने के लिए और समय चाहिए। समिति के दिशा-निर्देशों में प्रस्ताव को रोकने का प्रावधान है और इस तरह के कई लिस्टिंग प्रस्ताव समिति के सदस्यों की तरफ से रोके गए हैं।’ यूएस ट्रेजरी ने 2010 में अजहर को नामित किया था और उस पर पाकिस्तानियों को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल करने और भारत में आत्मघाती हमले प्लान करने का आरोप लगाया गया था।
इस साल दूसरी बार दिया आतंकी का साथ
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी मिशन के एक प्रवक्ता ने बुधवार को कहा कि अमेरिका अन्य देशों के मतों का सम्मान करता है। अमेरिका अपने सुरक्षा परिषद के भागीदारों के साथ सहयोग को महत्व देता है ताकि आतंकवादियों को अपराध करने के लिए वैश्विक व्यवस्था का शोषण करने से प्रभावी ढंग से रोका जा सके। जैश कमांडर अब्दुल रऊफ अजहर कुख्यात आतंकवादी मसूद अजहर का छोटा भाई है और 1994 में आईसी 814 विमान हाईजैक में शामिल था। इस साल चीन ने यह दूसरी बार संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तानी आतंकवादी की लिस्टिंग पर रोक लगाई है। इससे पहले उसने लश्कर-ए-तैयबा के अब्दुल रहमान मक्की की लिस्टिंग पर रोक लगा दी थी।
सुरक्षा परिषद को किया गया आगाह
इससे पहले मंगलवार को सुरक्षा परिषद को आगाह किया गया कि अफ्रीका में इस्लामिक स्टेट आतंकवादी संगठन का खतरा हर दिन बढ़ रहा है और यह महाद्वीप उसकी ‘खिलाफत का भविष्य’ हो सकता है। अफ्रीका के सुरक्षा विशेषज्ञ मार्टिन एवी ने यह चेतावनी दी थी। एवी ने कहा कि इस्लामिक स्टेट ने अफ्रीका में अपना दबदबा बढ़ाया है और कम से कम 20 देश आतंकवादी संगठन की गतिविधियों का प्रत्यक्ष तौर पर अनुभव कर रहे हैं।