Connect with us

उत्तराखण्ड

चुनौतियां बहुत पर अपने प्राकृतिक संसाधनों, भव्य सांस्कृतिक विरासत, अद्भुत मानव शक्ति और क्षमता के बल पर इनका सामना करेंगे: यशपाल

खबर शेयर करें -

हल्द्वानी। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा है कि लंबे संघर्ष और कुर्बानियों के बाद 9 नवंबर 2000 को उत्तराखण्ड अलग राज्य के रुप में अस्तित्व में आया। उत्तर प्रदेश के समय हम सभी मिलकर सपने देखते थे कि , काश हम भी अपने राज्य की भौगोलिक , सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियों के अनुसार कानून बनाऐं और यहां के निवासियों की आकांक्षाओं के अनुसार उन नीतियों को जमीन पर उतारें। तब हम सभी का मानना था कि, उत्तर प्रदेश हमारी परिस्थितियों को नहीं समझ पा रहा है , इसीलिए हमने अलग राज्य के लिए आंदोलन किया।

यहां राज्य स्थापना दिवस पर प्रेस को जारी बयान में यशपाल ने कहा कि 09 नवंबर, 2000 को प्रत्येक उत्तराखंडवासी के चेहरे पर एक गर्वपूर्ण मुस्कुराहट थी, एक चमक थी। हमको स्वभावत: यह लगा था कि हमने अपने जीवन की सबसे बड़ी धरोहर पा ली है और सत्य भी है। राज्य के इतिहास में विकासपरक मौके आए हैं जिनमें प्रशासन तंत्र ने हमें संतोष प्रदान किया है। मगर कुछ ऐसे भी कार्य हैं जिसको संपादित करने में ब्यूरोक्रेसी ने हमको निराश भी किया है।

राज्य बनते समय हम बात करते थे कि, हमारी आर्थिकी को आधार पर्यटन, उद्यान और जल विद्युत परियोजनाऐं होंगी। आज हम इन तीनों ही क्षेत्रों में लक्ष्य से बहुत दूर हैं। राज्य के स्थानीय निवासियों की इन तीनों महत्वपूर्ण क्षेत्रों में हिस्सेदारी लगातार घट रही है।हमारी संस्थाएं विशेष तौर पर हमारी विश्वविद्यालयी संस्थाएं उनके शैक्षिक व अनुसंधानिक स्तर में जो गिरावट आई है वह चिंतनीय है! यूं तो सारे शिक्षा का क्षेत्र चिंतनीय बना हुआ है। जिसमें मेडिकल शिक्षा से लेकर तकनीकी व औपचारिक शिक्षा तक का क्षेत्र सम्मिलित है। शिक्षा के इन क्षेत्रों में विस्तार हमने जरूर किया है, मगर हम गुणवत्ता पैदा नहीं कर पाए हैं! परीक्षाओं को लेकर जो गड़बड़ियां सामने आई हैं उसमें पब्लिक सर्विस कमीशन से लेकर अधीनस्थ सेवा चयन आयोग और दूसरी संस्थाएं, राज्य की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पाई हैं। राजकीय सेवाओं में भर्तियों को लेकर जो एक चिंतनीय स्थिति बनी हुई है वह हमको झगझोरती है।

हम लोकायुक्त की संस्था को केवल माननीय गवर्नर की टेबल तक पहुंचा पाए, मगर उनका अनुमोदन प्राप्त नहीं कर पाए। इसलिए आज भी राज्य लोकायुक्त से वंचित है। पुलिस व्यवस्था में इधर दिखाई दे रही गिरावट भी चिंतनीय है। हम राज्य के रूप में परिसंपत्तियों के विवाद में जो हमारा हक था उसको प्राप्त करने में पूर्णतः विफल रहे हैं। राज्य कर्ज की बोझ से निरंतर दब रहा है। 2016 में कर्ज ₹40,000 करोड़ के आस-पास था, जिसमें राज्य बनते वक्त का लगभग ₹11,000 करोड़ भी सम्मिलित है। मगर पिछले 8 वर्षों के अंदर यह कर्ज 1 लाख करोड रुपये के लगभग पहुंच चुका है। आय के संसाधन बढ़ाने की कोई चेष्टा नहीं हो रही है। 2016-17 में हमारी राजस्व वृद्धि दर 19.50 प्रतिशत वार्षिक थी जो आज घटकर 10 प्रतिशत वार्षिक पर आ गई है। इसका मतलब है कि 2016-17 के बाद आय के संसाधन बढ़ाने की कोई चेष्टा नहीं हुई! यहां तक की हंगर इंडेक्स में भी हमारी स्थिति चिंतनीय है।

पर कैपिटा इनकम जो ₹71,000 वार्षिक से 2014-15, 16 व 2017 में बढ़कर ₹1,73,000 प्रति व्यक्ति वार्षिक तक पहुंची थी, अब वह पिछले 6 वर्षों में 2 लाख के आस-पास ठहर गई है। बेरोजगारी देश में उत्तराखंड के अंदर आज सर्वाधिक है। अग्निवीर योजना उत्तराखंड के नौजवानों के लिए एक बड़ा धक्का सिद्ध हुई है। जिला योजना आकार निरंतर घट रहा है। पलायन को रोकने के लिए पिछले 6 वर्षों में केवल पलायन आयोग बना है, पूर्ववर्ती सरकार द्वारा इस दिशा में प्रारंभ की गई कई योजनाओं को ठप कर या उनका स्वरूप बदलकर पलायन को और बढ़ाया है। पलायन रोकने के लिए राज्य के पास कोई ठोस रणनीति नहीं दिखाई दे रही है! 2014-15 व 2016 में जिस रणनीति का सहारा उस समय की सरकार ने लिया था वह रणनीति बहुत सुविधा पूर्वक भुलाई जा रही है। मैदानी कृषि में ठहराव व पर्वतीय कृषि और बागवानी में आई चिंताजनक गिरावट राज्य के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन रही है।ऐसा नहीं है कि हमारे पास इन चुनौतियों का समाधान नहीं है, हमारे पास समाधान है। मगर एक समझपूर्ण, सुविचारित योजना और संकल्प शक्ति का अभाव दिखाई दे रहा है।

सड़कों की चिंतनीय स्थिति के कारण अधिक पेयी कैपेसिटी का पर्यटक विशेष तौर पर विदेशी पर्यटक हमारे राज्य के बजाय अन्य डेस्टिनेशन को खोजने लगे हैं। असंतुलित विकास राज्य के सामने कई सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक व राजनैतिक समस्याओं को पैदा कर रहा है जो अत्यधिक चिंतनीय कठोर सत्य है। फेहरिस्त लंबी है, लेकिन ये भी सत्य है कि हमारे पास अद्वितीय मानव शक्ति है। हमारे लोग जहां खड़े होते हैं, वहां से लकीर बनाने की उनकी क्षमता, हमारे गौरव व आत्मविश्वास को बढ़ाती है, राष्ट्रीय जीवन का कोई क्षेत्र नहीं है, जहां इस छोटे से राज्य के लोगों ने अपनी करनी से राष्ट्रीय गौरव को और चमक प्रदान न की हो! तो हम अपने प्राकृतिक संसाधनों, अपनी भव्य सांस्कृतिक विरासत, अद्भुत मानव शक्ति और क्षमता के बल पर इन सब चुनौतियों का सामना करेंगे, मैं फिर भी आशान्वित हूं। मुझे उत्तराखण्डवासियों की ईमानदारी और मेहनत पर पूरा भरोसा है।

Continue Reading

संपादक - कस्तूरी न्यूज़

More in उत्तराखण्ड

Advertisiment

Recent Posts

Facebook

Trending Posts

You cannot copy content of this page