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ब्रेकिंग : महिला अस्पताल हल्द्वानी की नर्सिंग अधिकारी निलंबित, डॉक्टर पर भी गिरेगी गाज

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देहरादून: अस्पताल के गेट के बाहर बच्चे के जन्म मामले में स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने बड़ी कार्रवाई की है। मामले की जांच के बाद पहली कार्रवाई अस्पताल में तैनात नर्सिंग अधिकारी पर हुई है। इतना ही नहीं डॉक्टरों के स्सपेंशन के लिए शासन से सिफारिश की गई है। स्वास्थ्य मंत्री ने इस तरह के मामलों में सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की ओर से मामले में जांच और कार्रवाई करने के निर्देश मिलने के बाद स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. शैलजा भट्ट ने कार्रवाई की है। स्वास्थ्य मंत्री ने मामले में संज्ञान लेते हुए सचिव स्वास्थ्य राधिका झा को तीन दिन में मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए थे। इस पर सचिव स्वास्थ्य ने महानिदेशक को मामले की रिपोर्ट प्राप्त कर डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए। शासन के निर्देशों पर स्वास्थ्य महानिदेशक ने राजकीय महिला अस्पताल हल्द्वानी में नर्सिंग अधिकारी दीप्ति रानी को निलंबित किया। साथ ही डॉ. दिशा बिष्ट को निलंबित करने के लिए शासन से सिफारिश की है। विभागीय जांच समिति की रिपोर्ट में पाया गया कि अस्पताल के लेबर रूम में तैनात नर्सिंग अधिकारी दीप्ति रानी ने गर्भवती महिला की जांच किए बिना ही डॉ. दिशा बिष्ट को दूरभाष पर महिला की स्थिति के बारे में बताया। डॉ. ने गर्भवती महिला को देखे बिना ही राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी रेफर करने के निर्देश दिए। नर्सिंग अधिकारी ने गर्भवती महिला को न तो भर्ती किया और उन ही उसके स्वास्थ्य की प्रारंभिक जांच की है। महिला को अस्पताल से बाहर ले जाने से पहले गेट पर प्रसव हो गया। जांच समिति ने स्पष्ट किया कि रात्रि कालीन ड्यूटी में तैनात डॉक्टर ने गर्भवती महिला का स्वयं परीक्षण नहीं किया और बिना जांच के दूरभाष पर गर्भवती को दूसरे अस्पताल में ले जाने के निर्देश दिए।

डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि गर्भवती महिला को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध न करना अस्पताल प्रशासन की घोर लापरवाही है। शनिवार को खटीमा निवासी गर्भवती महिला को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल रेफर किया गया। समय पर उपचार की सुविधा न मिलने पर महिला ने राजकीय महिला अस्पताल हल्द्वानी के गेट पर बच्चे को जन्म दिया। स्वास्थ्य मंत्री ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सचिव स्वास्थ्य को जांच के आदेश देकर तीन दिन में रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने कहा कि गर्भवती महिला को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध न करना अस्पताल प्रशासन की घोर लापरवाही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा इस मामले में जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लायी जाएगी।

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संपादक

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