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भाजपाई का फ़ोन, कांग्रेस के किशोर का पर्दाफाश और फिर कार्रवाई
उत्तराखंड की सियासत में किशोर को लेकर पिछले कुछ दिनों से तमाम तरह की चर्चाएं गर्म हैं। बुधवार को उनके भाजपा में शामिल होने की भी चर्चा जोरों पर थी। बताया जा रहा है कि भाजपा के एक पूर्व मुख्यमंत्री के वफादार का फोन गलती से कांग्रेस के दफ्तर में आ गया। जिसमें उन्होंने किशोर के बारे में जानकारी लेनी चाही। उन्होंने पूछा कि किशोर कहां हैं, यहां उनका इंतजार हो रहा है। ठीक उसी समय भाजपा प्रदेश कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस शुरू होने वाली थी। अटकलें हैं कि किशोर उपाध्याय बुधवार को भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने वाले थे। लेकिन किन्हीं कारणों से उनकी ज्वाइनिंग टल गई।
भाजपा की प्रेस कांफ्रेंस का समय भी बदला
भाजपा ने रिस्पना के पास स्थित एक होटल में प्रेस कांफ्रेंस रखी थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों की यह प्रेस तीन बजे शुरू होनी थी, लेकिन यह निर्धारित समय से पौना घंटा देरी शुरू हुई। सियासी हलकों में चर्चा थी कि पहले किशोर उपाध्याय को तीन बजे ज्वाइनिंग के लिए आना था, लेकिन वह नहीं आए। उनका इंतजार होता रहा। बाद में प्रेस कांफ्रेंस शुरू हो गई।
किशोर के बहाने पार्टी कार्यकर्ताओं को कड़ा संदेश
प्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय पर बड़ी कार्रवाई कर कड़ा संदेश दिया है। पार्टी प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने अपने पत्र में जिस सख्त लहजे का इस्तेमाल किया है, उससे साफ है कि पार्टी में किसी भी स्तर पर गुटबाजी या पार्टी विरोधी गतिविधियां बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। किशोर वर्तमान में चुनाव संचालन के लिए बनाई गई तमाम समितियों के सदस्य के साथ ही समन्वय समिति के चेयरमैन की जिम्मेदारी भी संभाल रहे थे। शुरू से कांग्रेस में रहे किशोर उपाध्याय जून 2014 से मई 2017 तक पार्टी प्रदेश अध्यक्ष रहे। इससे पूर्व वह एनडी तिवारी सरकार में उद्योग राज्यमंत्री रहे। वर्ष 2008 से 2012 तक प्रदेश प्रवक्ता के साथ कांग्रेस विधानमंडल दल के सचेतक के रूप में भी काम कर चुके हैं।बुधवार को भी सियासी हलकों में यह चर्चा गरम रही कि किशोर उपाध्याय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो सकते हैं। हालांकि किशोर वहां नहीं पहुंचे। प्रभारी देवेंद्र यादव की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि आप (किशोर) भाजपा और अन्य राजनीतिक दलों के साथ लगातार तालमेल बनाए हुए हैं। इस संबंध में आपको कई बार चेतावनी दी गई, लेकिन बावजूद इसके आप पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे। पत्र में इस बात का भी हवाला दिया गया है कि अभी आगे की कार्रवाई लंबित है। पिछले कुछ दिनों से किशोर की गतिविधियां तमाम मौकों पर पार्टी को असहज कर रही थीं। उनका देर रात भाजपा के महामंत्री संगठन अजेय कुमार के आवास पर जाकर उनसे मिलना और उससे पहले लखनऊ में सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलना पार्टी को अखर रहा था। इस बीच उनकी कभी भाजपा तो कभी सपा में जाने की खबरें आईं, लेकिन हर मौके पर उन्होंने वनाधिकारी आंदोलन को आगे रखकर दूसरी पार्टियों में जाने के सवाल से किनारा कर लिया। इसके अलावा कई मौकों पर किशोर के कई ऐसे बयान आए, जिसमें वह पार्टी लाइन से इतर जाते दिखाई दिए। उनके बयानों में बगावत के सुर सुनाई दे रहे थे। किशोर को पार्टी के तमाम पदों से हटाने के मुद्दे पर पूर्व सीएम और चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत भी कुछ बोलने से बचते दिखाई दिए। उन्होंने कहा कि वह इस बारे में कुछ नहीं कहना चाहते हैं। साभार अमर उजाला।

