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उत्तराखण्ड

हेमकुंड साहिब को लेकर बड़ी खबर, अब खराब मौसम या रास्ते पर नहीं फंसेगा कोई, जानें पूरा मामला

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देहरादून. 15200 फीट की ऊंचाई पर स्थित हेमकुंड साहिब में उत्तराखंड शासन के द्वारा रेस्क्यू हेलीपैड बनाया जा रहा है. यह उत्तराखंड का सबसे ऊंचा हेलीपैड होगा. हालांकि इसका प्रयोग केवल राहत और बचाव कार्य में किया जाएगा जिसका निर्माण कार्य शुरू हो चुका है. इस हेलीपैड के बनने से बारिश, बर्फबारी और बीमारी में बुजुर्ग श्रद्धालु 6 किलोमीटर के लंबे ट्रैक पर फंस जाते हैं. उसी समय हेलीकॉप्टर द्वारा श्रद्धालुओं का रेस्क्यू किया जाएगा. हेमकुंड साहिब से लगभग 2 किलोमीटर नीचे अटलाकुड़ी के पास यह हेलीपैड बनाया जा रहा है. जिसको शासन से मंजूरी भी मिल गई है.

हेमकुंड साहिब में बन रहे है हेलीपैड को लेकर सवाल उठा रहे हैं. जोशीमठ के स्थानीय निवासी अतुल सती का कहना है कि 15200 फीट की ऊंचाई पर हेमकुंड साहिब स्थित है और यहां पर हेलीपैड बनाना ठीक नहीं है. क्योंकि इन इलाकों में अधिक दुर्लभ जीव जंतु रहते हैं. साथ ही अटलाकुड़ी एक ग्लेशियर पॉइंट भी है. हेलीकॉप्टर की आवाजाही से ही यहां प्रकृति के साथ छेड़छाड़ भी हो सकती है.

केवल रेस्‍क्यू के लिए इस्तेमाल होगा
जोशीमठ की उप जिला अधिकारी कुमकुम जोशी का कहना है कि हेलीपैड केवल राहत और बचाव कार्य में प्रयोग में लाया जाएगा. बीमारी के दौरान अगर किसी यात्री को रेस्क्यू करना है तो उस दौरान हेलीकॉप्टर भेजकर बीमारी या आफत में फंसे हुए श्रद्धालु का रेस्क्यू समय रहते किया जा सकता है.
तो वहीं गुरुद्वारा कमेटी गोविंदघाट के प्रबंधक सेवा सिंह का कहना है कि हेमकुंड साहिब काफी ऊंचाई पर है वहां हेलीपैड बनने से काफी मदद मिल सकती है. हालांकि आसपास के इलाकों में रहने वाले लोग इस बात से सहमत नहीं हैं.

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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