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मुक्त विवि के कुलपति नेगी को लेकर शिक्षक के गंभीर आरोपों के बाद हड़कंप… सचिव को पत्र लिख सनसनीखेज आरोप लगाए
हल्द्वानी। अपने अस्तित्व में आने के बाद से ही लगातार विवादों में रहा उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय वर्तमान कुलपति को दोबारा यहां कुलपति नियुक्त किए जाने संबंधी चर्चाओं के बीच एक बार फिर विवादों में है। इस बार मामला थोड़ा ज्यादा गंभीर है क्योंकि विश्वविद्यालय के ही एक शिक्षक ने कुलपति और यहां तैनात दो अन्य अधिकारियों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए उच्च शिक्षा सचिव को पत्र लिखा है। पत्र में तमाम बातों के साथ उन्होंने यह भी कहा है कि उन्हें विश्वविद्यालय में लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है और उन्हें जान का खतरा भी है। उन्हें झूठे मामलों में फंसने की कोशिश भी की जा रही है। शिक्षक भूपेंद्र सिंह का लिखा यह पत्र अब सोशल मीडिया में वायरल हो गया है। पढ़िए शिकायती पत्र…..
सेवा में,
सचिव, उच्च शिक्षा, उत्तराखण्ड शासन
उत्तराखण्ड सचिवालय, सुभाष रोड, देहरादून -248001 विषय : उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में कुलपति नियुक्ति की अवैध प्रक्रिया रोकी जाए
महोदय,
वर्तमान में उत्तराखंड सरकार का उच्च शिक्षा विभाग उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहा है। इस प्रक्रिया में जानबूझकर वर्तमान कुलपति ओम प्रकाश नेगी को फ़ायदा पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। ओम प्रकाश नेगी की जन्मतिथि 16.7.1958 है. इस तरह वे सड़सठ साल की उम्र पूरी कर चुके हैं। विश्वविद्यालय के कुलपति की अधिवार्षिता आयु पैंसठ साल है। लेकिन नेगी को फिर से अवैध तौर पर कुलपति बनाने की साजिश रची जा रही है।इस संबंध में ज़रूरी तथ्य निम्नलिखित हैं-1. उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के ऐक्ट की स्थापना 31 अक्टूबर 2005 को की गई थी। (संलग्नक 1)
2. उस समय यूजीसी के नियम के अनुसार कुलपति की अधिवार्षिता आयु पूरे देश के विश्वविद्यालयों में 65 वर्ष थी। (संलग्नक 2)।3 विश्वविद्यालय परिनियम के नियम 4 (7) के अनुसार कुलपति अपना पद ग्रहण करने की तारीख से 3 वर्ष तक पद धारण करेगा। ऐक्ट में अधिवार्षिता न दिए जाने पर स्पष्ट है कि उस समय यूजीसी की अधिवार्षिता 65 वर्ष ही लागू होगी जो पूरे देश में थी। 2005 में अधिवार्षिता आयु 70 वर्ष नहीं थी। (संलग्नक 3) 4. यूजीसी रेगुलेशन 2010 के अनुसार विश्वविद्यालयों में कुलपति की अधिवार्षिता 65 से बड़ाकर 70 की गई बशर्ते संबंधित विश्वविद्यालय अपने ऐक्ट में संशोधन कर लें। ( संलग्नक 2)। जिन विश्वविद्यालय के ऐक्ट इस सम्बन्ध मे संशोधित किये गये उन विश्वविद्यालय मे कुलपति की अधिवर्षता 70 हुई अन्य सभी में 65 ही है। उदाहरण के लिए कुमाऊं विश्वविद्यालय द्वारा ऐक्ट में संशोधन नहीं किया गया। अतः कुलपति की अधिवर्षता 65 है ( संलग्नक 4)।
5. यूजीसी रेगुलेशन 2018 में कुलपति की अधिवर्षता वर्णित नहीं है। क्योंकि यूजीसी द्वारा पूर्व रेगुलेशन 2010 में ही कुलपति की अधिवार्षिता आयु स्पष्ट कर दी गई थी (संलग्नक 5)। तब से वही चला आ रहा है। 6. यूजीसी रेगुलेशन 2018 के अनुसार 65 वर्ष के बाद तो कुलपति पद हेतु आवेदन के लिये अर्ह ही नहीं होता है. सभी केन्द्रीय विश्वविद्यालय मे कुलपति के आवेदन मे स्पष्ट होता है. (संलग्नक6).
स्पष्ट है, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति ने उच्च शिक्षा विभाग और कुलाधिपति कार्यालय को गुमराह कर या कुछ भ्रष्ट लोगों के साथ जोड़तोड़ कर इस अवैध प्रक्रिया को अंजाम दिया है।
7 उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में भी यूजीसी की नियमानुसार तब तक अधिवर्षता आयु 70 वर्ष नहीं हो सकती जब तक ऐक्ट/नियमावली में संशोधन न किया जाए। मुक्त विश्वविद्यालय की नियमावली में इस संबंध में कोई संशोधन नहीं किया गया है। अतः यूजीसी के नियमानुसार अधिवर्षता आयु 65 ही है। जिसे गलत तरीके से वर्तमान कुलपति द्वारा अपने हित में प्रचारित किया जा रहा है।
8 यूजीसी के नियम के अनुसार बिना ऐक्ट में संशोधन के अधिवर्षता आयु 65 से 70 किया जाना अवैध है। प्रो ओम प्रकाश नेगी की कुलपति पद पर वर्तमान अवैध नियुक्ति तत्काल निरस्त की जाये. 65 वर्ष से अधिक आयु के अभ्यर्थियों को कुलपति नहीं बनाया जा सकता। 65 वर्ष से अधिक आयु के अभ्यर्थियों को सर्च कमेटी द्वारा बुलाया जाना अथवा पैनल में लिया जाना अवैध है।
वर्तमान कुलपति ओम प्रकाश नेगी ने विश्वविद्यालय में बड़े पैमाने पर नियुक्तियों में भ्रष्टाचार किया है। इस सिलसिले में मैंने कई बार राज्य सरकार और कुलाधिपति को सूचित भी किया है। उच्च न्यायालय में नेगी के कार्यकाल में हुई भ्रष्टाचार को लेकर तीन मुकदमे दर्ज हैं। जिनमें से अवैध नियुक्ति का एक मामला खुद मैंने दर्ज किया है। भ्रष्टाचार में लिप्त ऐसे कुलपति की फिर से नियुक्ति के बजाय उनके ख़िलाफ़ जांच कर मुक़दमा दर्ज किया जाना चाहिए।भ्रष्टाचार पर सवाल उठाने की वजह से ओम प्रकाश नेगी मुझे लगातार प्रताड़ित कर रहे हैं।
कुलपति द्वारा अवैध तौर पर नियुक्त डॉ रेनू प्रकाश और राकेश रयाल इसमें पूरी तरह शामिल हैं। इन सभी लोगों से मुझे जान का ख़तरा है। ये लोग लगातार मुझे झूठे मामलों में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं।आपसे निवेदन है कि कुलपति चयन की प्रक्रिया को नियमानुसार सही करते हुए 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को कुलपति हेतु योग्य न समझा जाए। पैंसठ साल की उम्र पूरी होने के बाद भी प्रो ओम प्रकाश सिंह नेगी की कुलपति पद पर की गई अवैध नियुक्ति को तत्काल निरस्त किया जाये। मेरा उत्पीड़न रोका जाए। इस सन्दर्भ मे की गई कार्यवाही से मुझे भी सूचित करने की कृपा करे.कुलपति चयन की प्रक्रिया से ओम प्रकाश नेगी को तुरंत बाहर नहीं किया गया तो इस प्रकरण को मैं जनता और न्यायालय में ले जाने के लिए मज़बूर होऊंगा।
सादर,
डॉ. भूपेन सिंह (मोबाइल नंबर-91-9999169886)
अध्यक्ष, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय शिक्षक संघ
तीन पानी बाइपास रोड, हल्द्वानी, नैनीताल

