उत्तराखण्ड
अल्मोड़ा के ताकुला ब्लॉक में “मेरा गाँव मेरा अभिमान” को साकार कर रहे ग्रामीण, जड़ों की ओर लौटने का अनूठा प्रयास
ताकुला (अल्मोड़ा )। ताकुला ब्लॉक के सतराली ग्राम में यहां के प्रवासी ग्रामीणों ने यहां लौटकर अपने बरसों पुराने मकानों का जीर्णोद्धार कर मूल निवास के साथ मेरा गाँव मेरा अभिमान की परिकल्पना को साकार किया है। यहां तमाम लोगों ने यह कार्य किया हैऔर वर्तमान में भी कई जगह कार्य चल रहा है। अपनी जड़ों को लौटने का यह अनूठा प्रयास रंग ला रहा है।
इसी क्रम में सेवानिवृत प्रधानाचार्य एवं वरिष्ठ कुमाऊंनी साहित्यकार कैलाश चन्द्र लोहनी की प्रेरणा से भतीजे और पुत्रों ने अपने मूल निवास स्थान ग्राम लोहना के सिंगधार, ब्लॉक ताकुला में लगभग 70 वर्ष पुराने मकान का जीर्णोधार कर ग्राम विकास की परिकल्पना को पूर्ण करने का निर्णय लिया। उनके भतीजे दिनेश चन्द्र लोहनी ग्रामीण विकास विभाग में मान चित्रकार, सतीश चन्द्र लोहनी इंजीनियर प्रभाकर लोहनी मैनेजर, रोहित लोहनी छायाकार एवं पुत्र अनिल लोहनी स्वव्यवसाई, इंद्रेश लोहनी बोर्ड आफिस में प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। कैलाश चन्द्र लोहनी जी एवं परिजनों द्वारा निर्णय लिया गया की गांवों से हो रहे पलायन को रोकने हेतु सरकार स्तर पर अनेकों योजनाओं का संचालन किया जा रहा है , प्रत्येक गांव को सड़कों से जोड़ा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर गांव व्यक्ति विहीन होते जा रहे हैं, पलायन को रोकने हेतु यह जरूरी है की गांव के निवासी अपने मूल घरों का जीर्णोधार करें उनको सवारें, जिससे की आमजन में ग्राम विकास की सोच जागृत हो सके।
अपने इस कार्य के प्रति सतीश चन्द्र लोहनी का कहना है चाचाजी द्वारा आज से लगभग तीस वर्ष पूर्व कहा गया था की एक दिन ऐसा आएगा जब बाहर रह रहे गांव के लोग अपने मूल घरों को जरुर आयेंगे और अब यह समय आ चुका है की शहरों के भौतिकवादी जीवन से मुक्त होकर गांव का स्वच्छ वातावरण में अपना जीवन व्यतीत करें, भविष्य की योजना के बारे में बताया की सबसे पहले पुराने भवन का जीर्णोधार किया जा रहा है, घर के पास तक रोड की सुविधा उपलब्ध है, बंजर जैसी पड़ी अपनी जमीन में यहां की जलवायु अनुकूल खेती, पौध आदि लगाए जाएंगे जिससे की गांव के अन्य निवासी भी अनुकरण करें और गांव और स्वयं की खुशहाली लाएं, लोहना गांव ने देश और प्रदेश को महत्वपूर्ण पदों में व्यक्ति दिए हैं जिन के द्वारा अपनी सेवा प्रदान कर अपना और क्षेत्र का मान बढ़ाया है, गांव के नजदीक ही भगवान गणानाथ जी का प्रसिद्ध मंदिर है। उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी इंद्रेश लोहनी का इस बारे में कहना है की राज्य गठन की अवधारणा तभी पूरी होगी जब राज्य के मूल निवासी अपने मूल स्थानों में रहें, नियमित आना जाना करें, अपने अनुभव से गांव में रह रहे लोगों को साझा करें जिससे की प्रति व्यक्ति आय बड़े और खुशहाल जीवन हो, एक ओर जहां सभी लोग सरकारी नौकरी के प्रति रुझान रख रहे हैं वहीं स्वरोजगार की रुचि प्रदेश को उन्नत बनाएगी, स्वरोजगार के माध्यम से हम खुद के साथ साथ अन्य लोगों को भी रोजगार आदि से जोड़ सकते हैं, इसलिये उत्तराखण्ड के प्रत्येक निवासी के लिए जरूरी है की गांव को जरुर जाएं तभी प्रदेश की उन्नति सम्भव है।
लोहना ग्राम के युवा ग्राम प्रधान राजेश लोहनी ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा की इसी प्रकार की सोच और कार्य से हमारा गांव प्रदेश और जिले का आदर्श गांव बन सकता है, बाहर रह रहे गांव के लोगों का लाभ मिलने पर गांव में खुशहाली ही आयेगी, उन्होंने गांव के मूल निवासियों से अनुरोध किया की पलायन आदि की समस्या का निदान और स्वच्छ वातावरण हेतु गांव को जरुर आएं।