धर्म-संस्कृति
12 को जया एकादशी व्रत तिथि, मुहूर्त और महत्व
माघ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है। जया एकादशी व्रत इस साल 12 फरवरी दिन शनिवार को है। इस एकादशी का पद्म पुराण में बड़ा ही महत्व बताया गया है। पुराणों में बताया गया है कि मृत्यु के बाद जीव को अपने कर्मों के अनुसार अनेक अदृश्य शरीर में जाना होता है जिसे प्रेत और भूत पिशाच की योनी कहा जाता है। जया एकादशी को इन्हीं अशरीरी योनियों से मुक्ति दिलाने वाला कहा गया है। इस विषय में पद्म पुराण में इंद्र की सभा की नर्तकी गंधर्व कन्या पुष्यवती और गायक माल्यवान की कथा का जिक्र मिलता है। जिसे देवराज इंद्र ने सभा के बीच लज्जाहीन व्यवहार करने के लिए शाप दे दिया था। शाप के कारण माल्यवान और पुष्यवती को पिशाच योनी में जाना पड़ा था। यहां इन्हें हिमालय पर्वत के वृक्ष पर रहने का स्थान मिला।
कष्टमय पिशाच योनी में दुख भोग रहे पुष्यवती और माल्यवान को माघ शुक्ल एकादशी के दिन कुछ भी खाने को नहीं मिला। माघ की ठंड में भूख प्यास से व्यकुल दोनों रात भर जागते रहे। ऐसे में अनजाने में दोनों से जया एकादशी का व्रत हो गया। इस व्रत के प्रभाव से दोनों पिशाच योनी से मुक्त हो गए और इन्होंने अपने गंधर्व शरीर को वापस पा लिया। इनका सौंदर्य और रूप पहले से भी अधिक मोहक हो गया। जब देवराज इंद्र ने दोनों को स्वर्ग में देखा तो हैरान रह गए। उन्होंने पूछा कि कैसे उन्हें पिशाच योनी से मुक्ति मिल गई।
इस पर पुष्यवती और माल्यवान ने बताया कि अनजाने में भी उनसे जया एकादशी का व्रत हो गया और भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें मुक्ति मिल गई। देवराज इंद्र बहुत प्रसन्न हुए और दोनों को आशीर्वाद देते हुए बोले कि जो भगवान विष्णु के भक्त हैं वह मेरे लिए भी आदरणीय हैं तुम दोनों सुख पूर्वक स्वर्ग में निवास करो।
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जया एकादशी महत्व
भगवान श्रीकृष्ण के वचनों का उल्लेख पद्म पुराण में किया गया है और बताया गया है कि जो भी व्यक्ति इस एकादशी के व्रत को करते हैं उन्हें कष्टदायी पिशाच योनी से मुक्ति मिल जाती है यानी उन्हें इस योनी में जाना नहीं पड़ता है।
जया एकादशी तिथि मुहूर्त
जया एकादशी व्रत 12 फरवरी शनिवार
माघ शुक्ल जया एकादशी आरंभ 11 फरवरी 1 बजकर 53 मिनट
माघ शुक्ल जया एकादशी समाप्त 12 फरवरी 4 बजकर 28 मिनट
जया एकादशी पारण समय 13 फरवरी सुबह 9 बजकर 30 मिनट तक