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धराली आपदा : सेना के 11 जवान भी लापता, बेस कैंप भी टूटा
उत्तरकाशी। पीआरओ (रक्षा) लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष श्रीवास्तव ने बताया कि धराली आपदा के बाद 14 राजरिफ के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल हर्षवर्धन खुद राहत और बचाव कार्यों का नेतृत्व कर रहे हैं। उनकी टीम के 150 जवान लगातार इस कठिन हालात में डटे हुए हैं। हालांकि यूनिट का बेस भी प्रभावित हुआ है और 11 जवान लापता हैं, फिर भी टीम पूरे हौसले और संकल्प के साथ काम कर रही है।
उन्होंने बताया कि अब तक 20 लोगों को सुरक्षित बचाया जा चुका है। तेज बारिश और टूटी हुई सड़कों के बावजूद जवान हर नागरिक की सुरक्षा के लिए डटे हुए हैं। कहा कि इस कठिन परिस्थिति में भारतीय सेना का निस्वार्थ सेवा, मजबूती और देश के प्रति समर्पण साफ दिखाई दे रहा है। राहत कार्यों को और तेज़ करने के लिए अतिरिक्त टीमें भी भेजी जा रही हैं।
धराली आपदा के बाद मौके के लिए निकले डीएम प्रशांत आर्य और एसपी सरिता डोबाल नेताला के समीप गंगोत्री हाईवे बंद होने के कारण वहां पर करीब छह घंटे फंसे रहे। बीआरओ की मशीन को हाईवे खोलने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। वहीं इस घटना ने आपदा से पूर्व की गई तैयारियों की पोल खोल कर रख दी है। क्योंकि मानसून में ऐसे स्थानों पर हर समय मशीनें तैनात करने के निर्देश थे। धराली में आई आपदा के बाद जिला प्रशासन सहित पुलिस और पूरा महकमा अलर्ट होते ही घटनास्थल के लिए रवाना हुआ। लेकिन प्रशासन के कदम तंत्र की आधू-अधूरी तैयारी ने नेताला में रोक लिया। वहां पर पहाड़ी से सड़क पर भारी मलबा आने और सड़क क्षतिग्रस्त होने के कारण पूरे प्रशासनिक अमले को वहां पर सड़क खुलने का इंतजार करना पड़ा। देर शाम करीब साढ़े आठ बजे के मार्ग खुलने के बाद डीएम और एसपी घटना स्थल के लिए रवाना हो सके। वहीं इसने मानसून सीजन में प्रशासनिक तंत्र की आपदा और भूस्खलन जोन को लेकर की गई तैयारियों की पोल खोल दी है।
शासन-प्रशासन की ओर से सभी सड़क संबंधित विभागों को निर्देशित किया गया है। सभी भूस्खलन जोन पर 24 घंटे मशीनें तैनात रहेंगी लेकिन वहां पर मशीनों की ओर से लगातार देरी होने के कारण जनपद के सबसे वरिष्ठ अधिकारियों को ही आज मार्ग बंद होने की परेशानी झेलनी पड़ी। वहीं आपदा राहत बचाव के लिए भी टीम को भी वहां पर फंसे रहने पड़े।

